कहीं आप का टिकट भी रद्द ना हो जाये!

फर्जी नामों से कई ट्रैवल एजेंसी चलानेवाला गिरफ्तार ई-टिकट बनाने के लिए फर्जी पहचान पत्र का करता था इस्तेमाल कोलकाता : अवैध ट्रैवल एजेंसी खोल कर ई-टिकट का फर्जी धंधा करनेवाले एक शातिर को रेलवे सुरक्षा बल की क्राइम इंटेलिजेंस ब्रांच की टीम में शनिवार को धर दबोचा. गिरफ्तार आरोपी का नाम शंकर साहा (25) […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 26, 2015 2:29 AM
फर्जी नामों से कई ट्रैवल एजेंसी चलानेवाला गिरफ्तार
ई-टिकट बनाने के लिए फर्जी पहचान पत्र का करता था इस्तेमाल
कोलकाता : अवैध ट्रैवल एजेंसी खोल कर ई-टिकट का फर्जी धंधा करनेवाले एक शातिर को रेलवे सुरक्षा बल की क्राइम इंटेलिजेंस ब्रांच की टीम में शनिवार को धर दबोचा. गिरफ्तार आरोपी का नाम शंकर साहा (25) है. शंकर के पास से भारी संख्या में फर्जी पहचान पत्र, एक लैपटॉप, चार मोबाइल, 20 से ज्यादा सिम कार्ड, दर्जनों बैंकों के पासबुक, दर्जन भर एटीएम कार्ड के साथ 20 से ज्यादा रेलवे के ई-टिकट और नौ हजार रुपये बरामद किये हैं.
शंकर वर्तमान में नैहाटी के विजय नगर इलाके से जालसाजी के धंधे को अंजाम दे रहा था. आरोपी का स्थायी निवास उत्तर 24 परगना का जगदल थाना इलाका है. शंकर की फर्जी कंपनियों का नाम ट्रैवल लीक, ट्रैवल जोन, एक्सप्रेस ट्रैवल, अर्जेट टूर एंड ट्रैवल, वैन टूर एंड ट्रैवल हैं.
शनिवार को रेलवे सुरक्षा बल के इंटर्नल विजिलेंस ग्रुप के इंस्पेक्टर दीपंकर दे, सीआइबी सियालदह के इंस्पेक्टर रजत रंजन और साउथ इस्टर्न रेलवे के एंटी फ्रॉड स्क्वॉर्ड ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए उक्त अपराधी को कल्याणी रेलवे स्टेशन के रिजर्वेशन काउंटर से गिरफ्तार किया. घटना की जानकारी देते हुए आरपीएफ के महानिरीक्षक सह आरपीएफ (पूर्व रेलवे) के मुख्य सुरक्षा आयुक्त विनोद कुमार ढाका ने बताया कि आरोपी के पास से बड़ी संख्या में फर्जी दस्तावेज बरामद किये गये हैं. आरोपी से पूछताछ की जा रही है. मामले में और नामों का खुलासा होने की संभावना है.
क्या है मामला
आरपीएफ अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार उक्त आरोपी पहले फर्जी पहचान पत्र के माध्यम से रेलवे की वेबसाइट से ई-टिकट करवाता था और यात्रियों से दोगुने दाम लेकर ई-टिकट का प्रिंट आउट दे देता.
ई-टिकट लेकर जब यात्री ट्रेन पकड़ने के लिए स्टेशन पहुंचता, तब तक आरोपी शंकर साहा उस ई-टिकट को इंटरनेट के माध्यम से रद्द करा देता. टिकट के रद्द होते ही टिकट के रुपये शंकर के अकाउंट में वापस आ जाते.
उधर इससे बेफिक्र यात्री जब ई-टिकट लिए अपने सीट पर पहुंचता तब उसे उसकी सीट पर कोई अन्य व्यक्ति बैठा मिलता.
टिकट रद्द होने की खबर जब तक यात्री को होती तब तक काफी देर हो चुकी होती, क्योंकि उस वक्त तक उसकी ट्रेन भी रवाना हो वाली होती. हैरान परेशान यात्री जब आरोपी टिकट दलाल शंकर की एजेंसी वाले नंबर पर फोन करता तो फोन भी स्वीच ऑफ बताता. शंकर के खिलाफ विधानगर नार्थ पुलिस के साथ कई थानों में फर्जी ई-टिकट कराने के मामले दर्ज हैं.

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