कोलकाता : भारत और बांग्लादेश के बीच लंबे इंतजार के बाद बस्तियों की अदला-बदली अब पूरी हो चुकी है. इन क्षेत्रों में सुरक्षा सुनिश्चित करना सुरक्षा एजंेसियों की सबसे बडी चिंता है ताकि ये इलाके राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के केंद्र न बन जाएं. गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने बताया, ‘‘भारत का हिस्सा बनी इन बस्तियों में सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है ताकि बांग्लादेश से अवैध प्रवेश और बंगाल में सक्रिय जेएमबी मॉड्यूल के सदस्यों का अवैध तरीके से प्रवेश रोका जा सके. ’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पहले ही गृह मंत्रालय को लिखा है कि इंटेलीजेंस ब्यूरो, सीमा सुरक्षा बल और राज्य की पुलिस के साथ मिलकर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाया जाए ताकि राष्ट्र विरोधी तत्व इस मौके का लाभ न उठा सकें. इस मुद्दे को लेकर गंभीर चिंताएं हैं.’’ भट्टाचार्य की तरह ही चिंता जताते हुए राज्य खुफिया ब्यूरो के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि इस मामले में जमीनी स्तर पर खुफिया सूचनाओं को एकत्र करने का काम पहले से ही किया जा रहा है.
अनाम रहने की शर्त पर इंटेलीजेंस ब्यूरो :आईबी: के एक वरिष्ठ राज्य अधिकारी ने बताया, ‘‘निश्चित रुप से सुरक्षा एक अहम चिंता है वो भी तब जब आपके पास इतनी बडी खुली सीमा हो. हमने तीन क्षेत्रों की पहचान की है जहां से अभी बांग्लादेश में भारतीय बस्तियों में रहने वाले लोग प्रवेश करेंगे। हमने इन क्षेत्रों में अपने शिविर भी लगाए हैं ताकि कडी निगरानी रखी जा सके और जमीनी स्थिति पर नियमित रिपोर्ट ली जा सके.’’ आईबी के अधिकारी ने कहा कि राज्य की सुरक्षा एजेंसियां बीएसएफ सहित केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रही हैं ताकि इन क्षेत्रों में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए जा सकें जिससे यह बस्तियां राष्ट्र विरोधी गतिविधियों का केंद्र न बनें.
बांग्लादेश और भारत के बीच 162 बस्तियों की अदला-बदली एक अगस्त को मध्यरात्रि में हुई. इस अदला -बदली के साथ ही विश्व के सबसे जटिल सीमा विवादों में एक का करीब सात दशक बाद अंत हो गया. इस आदान प्रदान के तहत 17,160 एकड क्षेत्र में फैली 111 भारतीय बस्तियां बांग्लादेश का हिस्सा बन गईं और 7,110 एकड क्षेत्र में फैलीं 51 बांग्लादेशी बस्तियां भारत के हिस्से में आ गईं। सभी भारतीय बस्तियां पश्चिम बंगाल के कूच बेहार जिले में हैं. बस्तियों का यह आदान प्रदान भारत और बांग्लादेश के बीच हाल ही में हस्ताक्षरित भूमि सीमा समझौते के तहत संपन्न हुआ.