दाऊद और पाकिस्तान से जुड़े हवाला रैकेट के तार

कोलकाता : सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी) सहित अन्य एजेंसियों द्वारा कोलकाता व सिलीगुड़ी में छापेमारी के दौरान 80 करोड़ रुपये की बरामदगी और हवाला कारोबार के लिंक अंडर वर्ल्ड डॉन व मुंबई बम विस्फोट के आरोपी डी कंपनी सरगना दाऊद इब्राहिम से जुड़ने के संकेत मिले हैं. जांच एजेंसियों का दावा है कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 26, 2015 2:15 AM
कोलकाता : सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी) सहित अन्य एजेंसियों द्वारा कोलकाता व सिलीगुड़ी में छापेमारी के दौरान 80 करोड़ रुपये की बरामदगी और हवाला कारोबार के लिंक अंडर वर्ल्ड डॉन व मुंबई बम विस्फोट के आरोपी डी कंपनी सरगना दाऊद इब्राहिम से जुड़ने के संकेत मिले हैं. जांच एजेंसियों का दावा है कि यह हवाला कारोबार लगभग 1000 करोड़ रुपये का है. छापेमारी के दौरान जांच एजेंसियों ने तीन लोगों को हिरासत में लिया है.
हाथ लगे नंबरों से भरे तीन डायरी
पूछताछ के दौरान मिली जानकारी के अनुसार इसके तार डी कंपनी यानी दाऊद इब्राहिम के जरिये यूएइ और सऊदी अरब के हवाला कारोबार नेटवर्क से जुड़ते नजर आ रहे हैं. इसका इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने व एक विशेष विचारधारा के प्रचार-प्रसार में खर्च किया जाना था. जांच एजेंसियों ने बड़ी रकम के साथ-साथ तीन डायरी भी बरामद की है. इनमें डेढ़ सौ के आसपास नाम हैं. इन डायरियों में तमिल व अरबी में नाम लिखे गये हैं और नंबर भी हैं तथा बरामद नोट पर कुछ निशान भी लगाये गये हैं. खुफिया एजेंसी का कहना है कि इस रकम को हवाला नेटवर्क के माध्यम से यूएइ या सऊदी अरब भेजने की योजना थी, जिनका सीधा संबंध डी-कंपनी से है. सूत्र का कहना है कि इस रािश को तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में गैर कानूनी लॉटरी के माध्यम से इकट्ठा की गयी थी. गैर कानूनी रैकेट के साथ अंडरवर्ल्ड सरगना का संपर्क बताया जाता है.
खुफिया विभाग ने हाल में गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपी है. उक्त रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 4000 करोड़ रुपये हवाला कारोबार के जरिये पैसा सऊदी अरब व यूएइ होते हुए पाकिस्तान भेजा जाता है.
खुफिया अधिकारी का कहना है कि छापेमारी के दौरान कुछ दास्तावेज भी मिले हैं. छापेमारी के दौरान बड़ी रािश जब्त की गयी है, लेकिन रुपये गिनने की कोई मशीन बरामद नहीं हुई है. पूछताछ के दौरान पता चला है कि हवाला नेटवर्क से जुड़े ये लोग रुपयों को गिनते नहीं थे, बल्कि वजन कर इन्हें भेजा जाता था. प्रत्येक रुपयों के बंडल का वजन होता है. उसी वजन के आधार पर इनकी गणना होती थी. जांच एजेंसियों ने मदद के लिए कोलकाता पुलिस के बैंक फ्राॅड विभाग की भी मदद ली है. यह पता लगाया जा रहा है कि किन बैंकों में इनके खाते हैं और किस तरह से उनसे जुड़े हुए हैं. वहीं, इतनी बड़ी रकम की बरामदी और हवाला नेटवर्क के खुलासे के बाद प्रवर्तन विभाग इस मामले को अपने हाथ मेें लेने पर विचार कर रहा है.
छोटे कारोबार के पीछे हवाला कारोबार
खुफिया अधिकारी का कहना है कि गैर कानूनी लॉटरी का धंधा करने की आड़ में हवाला कारोबार चल रहा है. डी कंपनी के साथ उनके संबंधों की जांच की जा रही है, जिन कार्यालयों से गुरुवार को छापेमारी के दौरान रकम जब्त की गयी. वे देखने में सामान्य से लगते हैं और वहां काम कर रहे कर्मचारी किसी से संपर्क नहीं रखते थे. ऐसा लगता था कि वे छोटे कारोबार कर रहे हैं, लेकिन इसके पीछे मुख्य धंधा हवाला का था, िजसे पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित किया जाता रहा है.
बिहार चुनाव प्रचार में इस्तेमाल करने की थी योजना
एक वरिष्ठ जांच अधिकारी का कहना है कि पूछताछ के दौरान प्राथमिक रूप से खुलासा हुआ है कि इस रकम का एक हिस्सा बिहार चुनाव प्रचार के दौरान इस्तेमाल किया जाना था. बिहार में पहले चरण का चुनाव 12 अक्तूबर को है. पहले चरण के लिए उम्मीदवारों के नामांकन की जांच प्रक्रिया गुरुवार को समाप्त हो गयी है. अब मुख्यत: चुनाव प्रचार में तेजी आयेगी. चुनाव प्रचार के दौरान बड़ी रकम की जरूरत है. पहले चरण में जिन जिलों में चुनाव हैं, जैसे बेगूसराय, भागलपुर, मुंगेर, लक्खीसराय, नवादा व जमुई बंगाल के नजदीक हैं. सड़क और रेल मार्ग नियमित रूप से वाहनों की आवाजाही होती है. इसके साथ ही बिहार के नेताओं का बंगाल के धनी लोगों के साथ सीधे व नियमित संपर्क है और वे कोलकाता विभिन्न कार्यक्रमों में शिरकत करने के लिए आते रहे हैं. वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि आरं‍भिक रूप से इस राशि को कोलकाता व सिलीगुड़ी में हवाला के माध्यम से जमा किया गया था. इस राशि को इन ठिकानों पर केवल एक या दो दिन ही रखना था. ये रुपये बैग में रखे हुए थे, जिससे यह संदेह किया जा रहा है कि इन्हें कोलकाता और सिलीगुड़ी से नियमित रूप से चलनेवाली बसों, रेल व ट्रांसपोर्ट के माध्यम से बिहार के विभिन्न जिलों में भेजे जाने की योजना बनायी जा रही थी. हालांकि जांच एजेंसियां औपचारिक रूप से कुछ भी कहने से इनकार कर रही हैं.

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