इसके बाद उन्होंने कलकत्ता हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी. न्यायाधीश ने सवाल किया कि उक्त उम्मीदवार दर्शन शास्त्र की स्नातक हैं. क्या वह बेहतर उम्मीदवार नहीं हैं? यह सबकुछ गांव की छोटी-मोटी राजनीति है.
ऐसी राजनीति का क्या भविष्य होगा. बच्चों को फर्जी शिक्षक पढ़ायेंगे और उनका भविष्य अंधकार में रहेगा. गांव के पंचायत के प्रधान व उप प्रधान यह सबकुछ करते हैं. माध्यमिक शिक्षा केंद्रों में ऐसा प्राय: देखने को मिलता है. गांव के लोगों को शिक्षित करना होगा. इन राजनीतिज्ञों के कारण गरीबी होती है. वह पांच वर्ष की राजनीति ही जानते हैं. राज्य के भविष्य को समझा जा सकता है. सभी फैसले प्रधान व उप प्रधान लेते हैं. वह अंगरेजी नहीं जानते और न ही बांग्ला. हर बार वह अपनी छत्रछाया को सुविधा के अनुसार बदल लेते हैं. आठ हफ्ते के भीतर उक्त उम्मीदवार की नियुक्ति का अदालत ने आदेश दिया है.