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दबाव में राज्य चुनाव आयुक्त ने दिया इस्तीफा
कोलकाता:तीन नगर निगमों के चुनाव को लेकर पड़ रहे राजनीतिक दबाव के चलते मंगलवार को राज्य चुनाव आयुक्त सुशांत रंजन उपाध्याय ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने राजभवन जा कर राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी को इस्तीफा सौंप दिया. राज्यपाल ने उनका इस्तीफा मंजूर कर िलया है. इस बीच, परिवहन विभाग के प्रधान सचिव […]
कोलकाता:तीन नगर निगमों के चुनाव को लेकर पड़ रहे राजनीतिक दबाव के चलते मंगलवार को राज्य चुनाव आयुक्त सुशांत रंजन उपाध्याय ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने राजभवन जा कर राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी को इस्तीफा सौंप दिया. राज्यपाल ने उनका इस्तीफा मंजूर कर िलया है.
इस बीच, परिवहन विभाग के प्रधान सचिव अलापन बंद्योपाध्याय को अस्थायी तौर पर राज्य चुनाव आयुक्त बनाया गया है. स्थायी तौर पर किसे राज्य चुनाव आयुक्त बनाया जायेगा, इसका फैसला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भूटान दौरे से लौटने के बाद लिया जायेगा. ममता भूटान दौरे पर हैं. मुख्य सचिव संजय मित्रा भी उनके साथ भूटान गये हैं. भूटान में ही मुख्य सचिव ने राज्य चुनाव आयुक्त के इस्तीफे की पुष्टि करते हुए कहा कि उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है. फिलहाल परिवहन विभाग के प्रधान सचिव अलापन बंद्योपाध्याय को राज्य चुनाव आयुक्त की जिम्मेदारी सौंपी गयी है.
अलापन बंद्योपाध्याय भी मुख्यमंत्री के साथ भूटान दौरे पर हैं, लेकिन वह बुधवार को कोलकाता लौटेंगे. वह अस्थायी रूप से राज्य चुनाव आयुक्त के रूप में पद ग्रहण करेंगे. जानकारी के अनुसार, वह परिवहन विभाग के प्रधान सचिव के पद पर भी बने रहेंगे. गौरतलब है कि सुशांत रंजन उपाध्याय ने ऐसे वक्त पर इस्तीफा िदया है, जब राज्य के तीन नगर निगमों के चुनाव की प्रक्रिया खत्म नहीं हुई है. मंगलवार को राज्य चुनाव आयोग के अधिकारी उनका कार्यालय में इंतजार कर रहे थे, क्योंकि आसनसोल, िवधाननगर और हावड़ा-बाली नगर िनगम के तीन अक्तूबर को संपन्न चुनाव को लेकर पुनर्मतदान के संबंध में फैसला लिया जाना था. लेकिन उपाध्याय कार्यालय की बजाय सीधे राजभवन पहुंचे और राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया.
क्यों दिया इस्तीफा
सुशांत रंजन उपाध्याय ने आधिकारिक तौर पर अपने इस्तीफे का कारण नहीं बताया है, पर माना जा रहा है िक तीन नगर निगमों के चुनाव के दौरान हुई िहंसा और इसके बाद उन पर पड़ रहे राजनीतिक दबाव के चलते उन्होंने पद छोड़ने का फैसला ले लिया. चुनाव प्रक्रिया के दौरान वह इस तरह पद छोड़ देंगे, इसका िकसी को अंदाजा नहीं था.
क्या है विवाद
तीन अक्तूबर को िवधाननगर, हावड़ा-बाली, आसनसोल नगर िनगम और सिलीगुड़ी महकमा परिषद का चुनाव संपन्न हुआ. इस दौरान राज्य चुनाव आयोग को मतदान में बड़े पैमाने पर धांधली की शिकायतें मिलीं. इन शिकायतों ने की जांच के िलए राज्य चुनाव आयुक्त सुशांत रंजन उपाध्याय ने रविवार को सात अक्तूबर को नगर निगमों की प्रस्तावित मतगणना स्थगित करने का फैसला िलया. आयोग के इस फैसले के िवरोध में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता आयोग के दफ्तर के बाहर धरने पर बैठ गये. यहां तक कि दो मंत्रियों, कोलकाता के मेयर व एक सांसद ने राज्य चुनाव आयुक्त साथ चार घंटे तक बैठक की. अंतत: तृणमूल कांग्रेस के दबाव में उपाध्याय को झुकना पड़ा और उन्होंने मतगणना स्थगित रखने के फैसले को वापस ले लिया. साथ ही आठ अक्तूबर को तीन नगर निगमों के कुछ वार्डों में पुनर्मतदान व नौ अक्तूबर को मतगणना की घोषणा कर दी. ध्यान रहे कि विपक्ष मतदान में हुई हिंसा के मद्देनजर चुनाव रद्द करने की मांग कर रहा है.
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