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सारधा घोटाला : मदन मित्रा को बेल, दस महीने बाद जेल से बाहर आयेंगे परिवहन मंत्री

कोलकाता : सारधा चिटफंड घोटाले में गिरफ्तार परिवहन मंत्री मदन मित्रा को शनिवार को अलीपुर कोर्ट से जमानत मिल गयी. अलीपुर जिला एवं सत्र अदालत के एसीजेएम (प्रभारी) पार्थ दास ने दो लाख के निजी मुचलके पर मित्रा को रिहा करने का आदेश दिया. परिवहन मंत्री को गिरफ्तारी के 10 महीने बाद जमानत मिली है. […]

कोलकाता : सारधा चिटफंड घोटाले में गिरफ्तार परिवहन मंत्री मदन मित्रा को शनिवार को अलीपुर कोर्ट से जमानत मिल गयी. अलीपुर जिला एवं सत्र अदालत के एसीजेएम (प्रभारी) पार्थ दास ने दो लाख के निजी मुचलके पर मित्रा को रिहा करने का आदेश दिया. परिवहन मंत्री को गिरफ्तारी के 10 महीने बाद जमानत मिली है. उन्हें सीबीआइ ने करोड़ों रुपये के सारधा घोटाले में 12 दिसंबर 2014 को गिरफ्तार किया था.
जमानत की शर्तों के अनुसार, मदन मित्रा को पासपोर्ट सीबीआइ के पास सरेंडर करना होगा. उन्हें जांच में सीबीआइ को पूरा सहयोग देना होगा. जानकारी के अनुसार, सीबीआइ के जांच अधिकारी (आइओ) अन्य किसी मामले के सिलसिले में राज्य से बाहर गये हुए थे.
सारधा घोटाले से संबंधित केस डायरी उनके पास ही थी. अदालत में शुरू से सीबीआइ के अधिवक्ता ने इस बात पर जोर दिया ताकि मामले की सुनवाई के पहले कुछ मोहलत उन्हें मिल जाये. साथ ही सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी भी उपस्थित हो सकें. अदालत ने केस डायरी पेश करने के लिए समय दिया, लेकिन इस दौरान जांच एजेंसी ऐसा नहीं कर सकी.
उधर, मदन मित्रा के अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि विगत 14 अक्तूबर को ही मामले की सुनवाई को लेकर सीबीआइ को नोटिस मिला था. उनकी ओर से पहले ही क्यों नहीं आपत्ति जतायी गयी थी? इसके बाद न्यायाधीश ने सीबीआइ की याचिका खारिज कर दी.
क्या कहा अदालत ने
परिवहन मंत्री की जमानत याचिका मंजूर करते हुए अदालत ने कहा गया कि आर्थिक अपराधों की जांच तथ्य व प्रमाण पर निर्भर करती है.
मदन मित्रा को जेल में रखकर नये तथ्य मिलेंगे, ऐसा प्रतीत नहीं होता. सूत्रों के अनुसार, मदन मित्रा की जमानत देते समय न्यायाधीश ने सीबीआइ के अधिवक्ता के उस बयान पर नाराजगी जतायी, जिसमें कथित तौर पर उनकी (सीबीआइ) ओर से कहा गया था कि मदन मित्रा की जमानत देने के लिए बेवजह जल्दबाजी की जा रही है. अदालत ने कहा कि ऐसा बयान पूरे न्यायप्रणाली पर अंगुली उठाने जैसा है.
मित्रा के अधिवक्ता की दलील
जमानत याचिका दायर करते हुए मित्रा के वकील अशोक मुखर्जी ने अदालत से कहा कि सीबीआइ उन्हें (मदन) जेल में और रोकना चाहती है क्योंकि उन्हें लगता है कि वह चर्चित व्यक्ति हैं और जमानत मिलने पर प्रभावित कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि सीबीआइ घोटाले के संबंध में मित्रा की संलिप्तता के संबंध में उनके खिलाफ कोई सबूत पेश नहीं कर पायी और इसलिए उन्हें जमानत दी जानी चाहिए.

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