दोनों की मौत मंगलवार की सुबह अपने-अपने आवास पर ही हो गयी. चिंतामणि के परिवार का आरोप है कि पिछले कई दिनों से उनके बीमार रहने के बावजूद भी उन्हें किसी भी तरह की चिकित्सा सुविधा मुहैया नहीं करायी गयी.
वहीं बंझेन उरांव के बेटे शालाचन उरांव का कहना है कि पिछले कई वर्षों से मां की शारीरिक अवस्था खराब थी, बागान खुला रहने पर रुपये हाथ में रहने की वजह से इलाज चल रहा था, लेकिन बागान की दुर्दशा के बाद रुपये के अभाव में इलाज करा पाना काफी मुश्किल हो चला था. जिला स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि चिंतामणि की मौत हृदय रोग की वजह से हुई है, जबकि बागराकोट चाय बागान की बंझेन उरांव की मौत उम्र हो जाने की वजह से स्वाभाविक रूप से हुई है. बंद बागानों में भी में नियमित स्वास्थ्य चिकित्सा शिविर लगाया जा रहा है. बागान सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इस वर्ष रेडबैंक चाय बागान में 29 लोगों की मौत हुई है. मालूम हो कि वर्ष 2013 के बाद से ही रेडबैंक ग्रुप के तीन चाय बागान बंद पड़े हैं.