बर्नपुर: कुल्टी नगरपालिका के वार्ड संख्या 11 अंतर्गत ढाकेश्वरी हाइस्कूल के पीछे स्थित प्रांतिक ओल्ड एज होम पिछले 16 वर्षो से सहायता की बाट जोह रहा है. आशानुकूल सहायता न मिल पाने के कारण होम में रह रहे 25 वृद्ध व वृद्धाओं को विभिन्न समस्याओं से जूझना पड़ता है. बुनियादी सुविधाएं न मिलने से इस उम्र में एक-एक दिन काटना मुश्किल हो जाता है.
स्थानीय निवासी अनिल कुमार बसु ने 10 कट्ठा जमीन पर प्रांतिक ओल्ड एज होम की स्थापना 18 वर्ष पहले की थी. इसमें रहने के लिए सबसे पहले कोलकाता के डॉ रवि राय आये. धीरे-धीरे वृद्धों की संख्या सात पहुंच गयी. इस समय इसमें 13 वृद्धा और 12 वृद्ध रह रहे हैं. स्थापना के दो वर्ष बाद ही अनिल कोलकाता चले गये. कुछ वर्षो तक वे नियमित अंतराल पर इसकी देखभाल के लिए आते रहे, लेकिन पिछले आठ साल में वे एक बार भी यहां नहीं आये हैं.
होम के केयर टेकर श्रीकांत राय व संजीव राय ने बताया कि अनिल से उनका कोई संपर्क नहीं रह गया है. उन्होंने जो संपर्क टेलीफोन नंबर दिया था, वह बंद हो चुका है तथा कोलकाता में उनसे संपर्क का कोई सूत्र भी नहीं है.
उन्होंने कहा कि किसी वृद्ध को रखने के लिए आठ हजार रुपये सिक्यूरिटी मनी के रूप में जमा करना पड़ता है. एक महीने के अंदर भी उसकी वापसी हो जाती है. उसके बाद प्रति माह 2500 रुपये का भुगतान करना पड़ता है. प्रबंधन के स्तर से सुबह नाश्ता, सप्ताह में चार दिन दोपहर में मछली-भात, प्रति रविवार मीट-भात व अन्य दो दिन शाकाहारी भोजन दिया जाता है. शाम में नाश्ता व रात्रि भोजन मिलता है. साथ ही चिकित्सा सुविधा उपलब्ध रहती है.
यदि कोई अलग से आया रखना चाहे तो उन्हे प्रति माह दो हजार रुपये का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि होम संचालन में किसी संस्था से आर्थिक सहायता नहीं मिल रही है. इस कारण इसके संचालन में काफी परेशानी हो रही है. बिल्डिंग की मरम्मत नहीं होने से बारिश में हर कमरे की छत से पानी का रिसाव होता है. बिजली विभाग की ओर से सब्सिडी नहीं मिलती है. प्रतिमाह बिजली बिल 10 हजार रुपये आता है. यहां तक आनेवाली सड़क पूरी तरह से जजर्र हो गयी है. आसनसोल नगर निगम, विधायक या सांसद के विकास मद की राशि की भी मदद नहीं मिली. किसी संस्था से भी सहयोग मिले तो इस होम में कई बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करायी जा सकती हैं. इस होम में इस समय 13 महिलाएं तथा 12 पुरुष रह रहे हैं. यहां रह रहे वृद्धों को अपने परिजनों की याद हमेशा आती है. अपने गुजरे दिनों की याद कर वे और भी गमगीन हो जाते हैं. लेकिन वह किसी तरह खुद को संतोष कर लेते हैं.