तनाव व आतंक से मुकाबला करने में उलझी रही कोलकाता पुलिस

कोलकाता: वर्ष 2015 महानगरवासियों के लिए परेशानी व आतंक भरा और कोलकाता पुलिस के लिए चुनौती भरा वर्ष रहा. साल की शुरुआत से ही महानगर के विभिन्न इलाकों में छोटी-मोटी घटनाओं में गोली चलने के मामले बढ़ते रहे. इसके साथ ही सड़कों पर ड्यूटी के दौरान पुलिसकर्मियों के साथ बदसलूकी व मारपीट की घटनाएं बढ़ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 25, 2015 7:39 AM
कोलकाता: वर्ष 2015 महानगरवासियों के लिए परेशानी व आतंक भरा और कोलकाता पुलिस के लिए चुनौती भरा वर्ष रहा. साल की शुरुआत से ही महानगर के विभिन्न इलाकों में छोटी-मोटी घटनाओं में गोली चलने के मामले बढ़ते रहे. इसके साथ ही सड़कों पर ड्यूटी के दौरान पुलिसकर्मियों के साथ बदसलूकी व मारपीट की घटनाएं बढ़ने लगीं. पुलिसवालों के प्रति लोगों के मन से डर इस कदर तक कम होने लगा कि छोटे मोटे मामले में पुलिसवालों के साथ मारपीट की घटनाएं बढ़ने लगीं. यहां तक कि कोलकाता नगर निगम चुनाव में जगन्नाथ मंडल नामक गिरीश पार्क थाने के एक सब इंस्पेक्टर पर गोली चलाने से भी बदमाश नहीं कतराये.
निगम चुनाव में पुलिसवाले को मार दी गयी गोली
निगम चुनाव के अंतिम दिन छह अप्रैल की दोपहर को बड़ाबाजार में जो घटना घटी, उससे वहां के लोग काफी दिनों तक आतंक के साये में रहे. यहां राजनीतिक दलों के समर्थकों के आपसी झमेले में गिरीश पार्क थाने के सब इंस्पेक्टर जगन्नाथ मंडल पर बदमाशों ने गोली चला दी. बदमाशों ने वहां पुलिस को लक्ष्य कर बमबाजी व पथराव भी किया. हालांकि समय रहते उन्हें अस्पताल ले जाने व बेहतर चिकित्सा से उनकी जान बच गयी और इस मामले में जुड़े कुछ बदमाशों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. लेकिन जिनके कहने पर वे इस वारदात को अंजाम दिये, वे पुलिस की जांच में निर्दोष साबित होकर बच निकले.
हरिदेवपुर में बार के बाहर गोलीबारी में युवक की मौत
गिरीश पार्क के बाद महानगर में दूसरी बड़ी घटना हरिदेवपुर में घटी. यहां नौ जुलाई को एक बार के अंदर दो बदमाशों के विरोधी गुट में आपसी झमेले में इलाके में 30 से 35 राउंड गोलीबारी की गयी. इसमें सड़क किनारे खड़े एक राहगीर को खामियाजा भुगतना पड़ा और गोली लगने से उसकी मौत हो गयी. इस मामले में भी पुलिस ने लापरवाही बरती और मुख्य आरोपी को घटना के काफी दिन बाद गिरफ्तार किया. इस घटना के कारण इलाके में कुछ दिन तक लोग काफी आतंकित थे.
कंकालकांड की पहेली सुलझाने में उलझी रही पुलिस
इस वर्ष पार्क स्ट्रीट इलाके के निकट रॉबिनसन स्ट्रीट में 11 जून को सामने आयी एक अनोखी घटना ने जहां एक तरफ महानगर के लोगों को अचंभित कर दिया, तो वहीं पुलिस भी इसे सुलझाने को लेकर परेशान रही. यहां अपनी बहन देबयानी दे व उनके प्यारे दो कुत्तों की मौत के बाद पार्थ दे नामक एक भाई ने उनसे लगाव के कारण परिवार वालों की जानकारी से बचकर तीनों के शव को फ्लैट के कमरे के अंदर कैद रखा. यही नहीं, अपनी मृत बहन व उनके दोनों मृत कुत्ते को रोजाना समय-समय पर खाना भी दिया करता था. दिन गुजरने के साथ तीनों की लाशें सड़ गयीं और बिस्तर पर सिर्फ उनके कंकाल ही बचे. बाद में पार्थ का अपने पिता से विवाद होने लगा और एक दिन उन्हो‍ंने खुद को कमरे में बंद कर शरीर में आग लगा ली. इसकी जानकारी मिलने के बाद पुलिस वहां पहुंची तब जाकर पूरे मामले का खुलासा हुआ. इसके रहस्या को सुलझाने में पुलिस खुद ही उलझ गयी.
एकाधिक गोलीबारी की घटनाएं करती रही परेशान
महानगर के विभिन्न इलाकों में वर्ष 2015 की शुरुआत से ही आपसी लड़ाई में गोलीबारी की घटनाएं लगातार बढ़ती चली गयी. महानगर के तिलजला, तपसिया, बेनियापुकुर, करया, हरिदेवपुर, पार्क स्ट्रीट, काशीपुर, तालतल्ला और यादवपुर जैसे इलाकों में पूरे वर्ष भर गोलीबारी व बमबाजी की घटनाएं घटीं. इसमें बेनियापुकुर में एक मामले में एक बच्चा भी गोली में जख्मी हुआ था.
सबसे बड़े पूजा मंडप को बंद करना पुलिस के लिए बना किरकिरी का कारण
बंगाल का गौरव कहलाने वाले दुर्गापूजा के त्योहार को सुचारू रुप से चलाने में जोधपुर पार्क में आयोजित विश्व की सबसे बड़ी दुर्गापूजा पूजा के आयोजन को दर्शकों के लिए बंद करने को लेकर कोलकाता पुलिस को काफी किरकिरी का सामना करना पड़ा. इस पूजा मंडप को बंद करने के बाद आम जनता कोलकाता पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के इस फैसले पर तरह-तरह के सवाल खड़े करने लगी.
एक के बाद एक पकड़े गये पाकिस्तानी जासूस
वर्ष के अंतिम महीनों में पड़ोसी देश पाकिस्तान को यहां की गुप्त जानकारियां भेजने वाले अकाधिक पाकिस्तानी जासूसों को कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार कर एक बड़ी सफलता हासिल की. महानगर के अलावा देश के अन्य राज्यों से भी पाकिस्तानी जासूसों के पकड़े जाने का सिलसिला जारी रहा. इन जासूसों से पूछताछ में यह खुलासा हुआ कि महानगर के अलावा देश के कई महत्वपूर्ण जगहों की जानकारी व उनके मैप पड़ोसी देश को भेजे गये है.
वर्ष 2015 की शुरुआत से लेकर अंत तक एक के बाद एक इन सभी घटनाओं के कारण जहां एक तरफ लोगों को परेशानी होती रही, इस पर कुछ मामलों में पुलिस ने कड़े कदम उठाये, जबकि कुछ मामलों में पुलिस राजनीतिक दबा के कारण फैसला नहीं ले सकी.

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