जमीनदाताओं के विवाद को सुलझाने की प्रक्रिया शुरू
कोलकाता : राष्ट्रीय राजमार्ग-34 के लिए जमीन देनेवाले जमीनदाताओं के विवाद को सुलझाने के लिए राज्य सरकार ने प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसके लिए राज्य सरकार ने 17 दिसंबर को ऑर्बिटेशन का गठन किया. यह कमेटी जमीनदाताओं से मिल कर विवादों को सुलझायेगी. यह जानकारी गुरुवार को राज्य सरकार पक्ष के वकील ने हाइकोर्ट […]
कोलकाता : राष्ट्रीय राजमार्ग-34 के लिए जमीन देनेवाले जमीनदाताओं के विवाद को सुलझाने के लिए राज्य सरकार ने प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसके लिए राज्य सरकार ने 17 दिसंबर को ऑर्बिटेशन का गठन किया. यह कमेटी जमीनदाताओं से मिल कर विवादों को सुलझायेगी. यह जानकारी गुरुवार को राज्य सरकार पक्ष के वकील ने हाइकोर्ट में न्यायाधीश विश्वनाथ समद्दार के समक्ष मामले की सुनवाई के दौरान दी. वहीं, सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के वकील दीपंकर दास ने हाइकोर्ट को बताया कि एनएचएआइ द्वारा राज्य सरकार को ऑर्बिटेशन की राशि प्रदान की जा चुकी है.
उनके इस बयान के बाद राज्य सरकार के वकील असमंजस में पड़ गये, क्योंकि उनके पास इसकी कोई जानकारी नहीं थी. इसके बाद न्यायाधीश ने एनएचआइए को इसकी कॉपी राज्य सरकार पक्ष के वकील को पेश करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई को 27 जनवरी तक टाल दी. गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने इस योजना के तहत जमीनदाताओं को मुआवजा देने के लिए 600 करोड़ रुपये दिये हैं, लेकिन उन्हें अब तक मुआवजा नहीं मिला है.
मुर्शिदाबाद जिले के बहरमपुर के रहनेवाले जमीनदाता नजरूक हक सहित 22 लोगों ने हाइकोर्ट में याचिका दायर की है और कहा है कि इन लोगों ने राष्ट्रीय राजमार्ग के विस्तार के लिए अपनी जमीनें दी हैं और केंद्र सरकार ने जमीन की कीमत राज्य सरकार को चुका भी दिया है, लेकिन राज्य सरकार द्वारा अब तक उनको जमीन की कीमत नहीं दी गयी है. हालांकि गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान ही राज्य सरकार की ओर से नजरूक हक को उनकी जमीन के लिए दी जानेवाली राशि के रूप में 11,93, 967 रुपये का भुगतान किया गया. साथ ही राज्य सरकार ने यह भी दावा किया कि जमीनदाताओं के विवाद को जल्द सुलझा लिया जायेगा.
गौरतलब है कि एनएच-34 के विस्तार के लिए वर्ष 2010 में अधिसूचना जारी हुई थी. पहले स्थानीय लोगों ने जमीन देने से इनकार कर दिया था. फिर बाद में स्थानीय डीएम के साथ बैठक कर जमीन की कीमत तय हुई और उसके बाद लोगों ने योजना के लिए जमीन दी थी.