जेयू के आंदोलनरत विद्यार्थियों के साथ राज्यपाल ने की मुलाकात

कोलकाता : यादवपुर विश्वविद्यालय में आंदोलन करनेवाले विद्यार्थियों के साथ सोमवार को विश्वविद्यालय के कुलाधिपति व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने मुलाकात की. राज्यपाल ने रविवार को ही फोन पर विश्वविद्यालय के प्रबंधक को मुलाकात के संबंध में बताया था और विद्यार्थियों से घेराव व धरना को खत्म करने की अपील की थी. इसके बाद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 12, 2016 7:30 AM
कोलकाता : यादवपुर विश्वविद्यालय में आंदोलन करनेवाले विद्यार्थियों के साथ सोमवार को विश्वविद्यालय के कुलाधिपति व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने मुलाकात की. राज्यपाल ने रविवार को ही फोन पर विश्वविद्यालय के प्रबंधक को मुलाकात के संबंध में बताया था और विद्यार्थियों से घेराव व धरना को खत्म करने की अपील की थी. इसके बाद रात करीब 10 बजे विद्यार्थियों ने धरना खत्म कर दिया था. हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया था कि उनका आंदोलन जारी रहेगा.
सोमवार को दोपहर 3.30 बजे विद्यार्थियों ने राज्यपाल से मुलाकात की. बैठक के बाद फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी स्टूडेंट्स यूनियन (फेटसू) के महासचिव स्वर्णेंदू बर्मन ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल को समूचे हालात की जानकारी दी है और यूनियन चुनाव जल्द कराने की मांग की है. राज्यपाल ने उनकी बातों को सुना और जरूरी कदम उठाने का आश्वासन दिया है. उन्होंने कहा है कि इस संबंध में वह कानूनी सलाह लेंगे और वाइस चांसलर सुरंजन दास को इसकी जानकारी दे देंगे.
विद्यार्थियों ने आगामी 31 जनवरी के पहले ही यूूनियन चुनाव कराने के लिए कहा है, क्योंकि 31 जनवरी को ही पुरानी यूनियन की मियाद खत्म हो जा रही है. स्टूडेंट यूनियन के छह सदस्यीय प्रतिनिधि दल ने राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात की थी. प्रतिनिधि दल में स्वर्णेंदू बर्मन के अलावा यादवपुर यूनिवर्सिटी आर्ट्स फैकल्टी स्टूडेंट्स यूनियन (एएफएसयू) के महासचिव श्रमन गुहा व अन्य शामिल थे. यह पूछे जाने पर कि क्या वे बैठक से संतुष्ट हैं, बर्मन का कहना था कि कुलाधिपति ने चुनाव कराने की कोई तारीख नहीं दी है, लेकिन आश्वासन दिया है कि विषय पर वह गौर करेंगे. इस पर खुश या नाखुश होने का कोई सवाल नहीं है.
उन्होंने बताया कि यूनियन की जनरल बॉडी की मीटिंग आगामी 13 जनवरी को बुलायी जायेगी. उसके बाद आगामी रणनीति पर फैसला लिया जायेगा. यूनियन ने स्पष्ट किया है कि मुद्दों को सुलझाये बगैर आंदोलन को समाप्त करने का कोई औचित्य नहीं है. चुनाव को स्थगित करने के पूर्व के फैसले की वह निंदा करते हैं.

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