ऐसा माना जा रहा था कि कच्चे जूट की खरीदारी में काले धन का इस्तेमाल हो रहा है. सूत्रों के अनुसार, जूट आयुक्त ने जूट उद्योग में काला धन के इस्तेमाल पर रोक के लिए यह निर्देश जारी किया है. सूत्र के अनुसार, रिटर्न दाखिला से यह साफ हो जायेगा कि कच्चे जूट की खरीदारी पंजीकृत ट्रेडर्सों से की गयी है या गैर पंजीकृत ट्रेडर्सों से. यदि गैर पंजीकृत ट्रेडर्सों से खरीदारी हुई है, तो नियम का उल्लंघन होगा और उसके खिलाफ जूट आयुक्त द्वारा कार्रवाई की जायेगी.
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जूट मिल मालिकों को रिटर्न दाखिल करने का निर्देश
कोलकाता: कच्चे जूट की कालाबाजारी रोकने के लिए जूट आयुक्त ने जूट मिल मालिकों को रिटर्न दाखिल करने का निर्देश दिया है. इस वाबत जूट आयुक्त ने एक अधिसूचना जारी की है कि इस अधिसूचना में 25 जनवरी तक सभी जूट मिल मालिकों को रिटर्न दाखिल करने का निर्देश दिया गया है. रिटर्न के तहत […]
कोलकाता: कच्चे जूट की कालाबाजारी रोकने के लिए जूट आयुक्त ने जूट मिल मालिकों को रिटर्न दाखिल करने का निर्देश दिया है. इस वाबत जूट आयुक्त ने एक अधिसूचना जारी की है कि इस अधिसूचना में 25 जनवरी तक सभी जूट मिल मालिकों को रिटर्न दाखिल करने का निर्देश दिया गया है. रिटर्न के तहत जूट मिल मालिकों को खुलासा करना होगा कि उन लोगों ने किन जूट ट्रेडर्सों से कितनी मात्रा में कच्चा जूट खरीदा है, जिन ट्रेडर्सों से कच्चा माल की खरीदारी की गयी है, वह पंजीकृत हैं या गैर पंजीकृत हैं.
उल्लेखनीय है कि इसके पहले जूट आयुक्त ने अधिसूचना जारी कर निर्देश दिया था कि कच्चे जूट की खरीदारी पंजीकृत ट्रेडर्सों से ही करनी होगी. एक ट्रेडर्स को 1700 क्विंटल से ज्यादा कच्चे जूट नहीं रखने और जूट मिलों को दो माह से अधिक कच्चे जूट नहीं रखने का निर्देश दिया गया था.
कालाबाजारी रोकने के िलए हुई थी बैठक
कच्चे जूट की कालाबाजारी रोकने के लिए राज्य के श्रम मंत्री पूर्णेंदु बसु के नेतृत्व में ग्रुप ऑफ मिनिस्टर की बैठक भी हुई थी और प्रवर्तन निदेशालय को कच्चे जूट की कालाबाजारी पर नियंत्रण के लिए छापेमारी का भी निर्देश दिया गया था, लेकिन इसके बावजूद सरकार को सफलता नहीं मिली थी.
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