फिर से लागू हो पुरानी पेंशन नीति

कोलकाता. केंद्र सरकार को यदि युवाओं की जरा भी परवाह होती तो नयी पेंशन नीति समाप्त करके पुरानी पेंशन नीति काफी पहले ही लागू कर दी गयी होती. 2004 के बाद से देश में जितने भी युवाओं की केंद्र सरकार की नौकरियों में नियुक्ति हुई, वें नयी पेंशन नीति में फंसते चले गये. आज देश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 23, 2016 7:24 AM
कोलकाता. केंद्र सरकार को यदि युवाओं की जरा भी परवाह होती तो नयी पेंशन नीति समाप्त करके पुरानी पेंशन नीति काफी पहले ही लागू कर दी गयी होती. 2004 के बाद से देश में जितने भी युवाओं की केंद्र सरकार की नौकरियों में नियुक्ति हुई, वें नयी पेंशन नीति में फंसते चले गये. आज देश में 8.30 लाख ऐसे युवा हैं जिन्हें नयी पेंशन नीति के तहत पेंशन के लाभ से वंचित कर दिया गया है.

आज देश का हर व्यक्ति इस नयी पेंशन नीति के विरोध में एक साथ खड़ा हो चुका है. यदि सरकार नयी पेंशन नीति को रद्द कर पुरानी पेंशन नीति को लागू नहीं करती तो आनेवाले समय में देश में ऐसी हड़ताल होगी जो पहले कभी नहीं हुई. उक्त बातें ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के महासचिव कॉमरेड शिवगोपाल मिश्रा ने कहीं. इस दौरान अपने भाषण में ईआरएमसी के महासचिव विनोद शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार की नीति श्रमिक विरोधी है. केंद्र सरकार रेलवे में पूरी तरह से एफडीआइ लागू करने की फिराक में है. सरकार ने कुछ स्थानों पर रेल इंजनों को बनाने के लिए विदेशी कंपनियों के साथ करार किया है. यदि सरकार पुरानी पेंशन नीति को फिर से नहीं लाती तो इसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा.

केंद्र सरकार श्रमिकों की नहीं बल्कि उद्योगपतियों की हितैषी है. इस दौरान इस्टर्न रेलवे मेन्स यूनियन, इस्टर्न रेलवे मेन्स कांग्रेस, दक्षिण पूर्व रेलवे मेन्स यूनियन, दक्षिण पूर्व रेलवे मेन्स कांग्रेस, मेट्रोपोलिटन मेन्स यूनियन, मेट्रो रेलवे वर्कर्स कांग्रेस, ऑल इंडिया डिफेंस इंप्लाइज यूनियन, एनएफपीई और सीजीसीसी मौजूद रहे. कार्यक्रम में पूर्व रेलवे मेंस यूनियन मेंटर स्टेट के जेसीए एसके बंद्योपाध्याय, मेंस कांग्रेस, हावड़ा शाखा- 1 के कार्यकारी अध्यक्ष सुभाष चौधरी, कोषाध्यक्ष मलय पाल के साथ बड़ी संख्या में ट्रेड यूनियनों के पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित रहे.

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