पत्र की एक प्रति राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी दी गयी है. श्री श्रीवास्तव ने कहा कि कुशेश्वर 25 दिनों तक लापता रहा. उसके परिवार वालों ने साउथ पोर्ट थाने में उसके लापता होने की रिपोर्ट दर्ज करायी थी, लेकिन बाद में 25 दिनों के बाद बागुइअाटी पुलिस द्वारा हिरासत में लेने तथा 25 दिनों के बाद रिहा होने की घटना सामने आयी.
टैक्सी ड्राइवर को जेल भेजने के बावजूद परिवार के सदस्यों को इसकी सूचना नहीं दी गयी. यह पूरी तरह से मानवाधिकार का उल्लंघन था. टैक्सी ड्राइवर के साथ मारपीट भी की गयी. इस बावत गृह सचिव से लेकर कोलकाता पुलिस आयुक्त व विधाननगर पुलिस आयुक्त को पत्र भी लिखा गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. उन्होंने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ आयोग से कार्रवाई की मांग की. उन्होंने कहा कि इस बावत वे लोग कलकत्ता हाईकोर्ट में मामले भी करेंगे, ताकि पीड़ित टैक्सी ड्राइवर को न्याय मिल सके.