पश्चिम बंगाल में क्या लेफ्ट व कांग्रेस बिहार के महागंठबंधन जैसा दिखायेंगे करिश्मा?
।।पंकज कुमार पाठक।। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के महासंग्राम में रथ आगे ले जाने के लिए सभी पार्टियां सारथी की तलाश में हैं.राजनीतिक दलचुनावी जीत के लिए गंठबंधन के लिए संभावनाएं तलाशना शुरू कर चुके हैं.इस साल के उत्तरार्द्ध में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होना है. वहां के दो बड़े राजनीतिक ध्रुव तृणमूल कांग्रेस […]
।।पंकज कुमार पाठक।।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के महासंग्राम में रथ आगे ले जाने के लिए सभी पार्टियां सारथी की तलाश में हैं.राजनीतिक दलचुनावी जीत के लिए गंठबंधन के लिए संभावनाएं तलाशना शुरू कर चुके हैं.इस साल के उत्तरार्द्ध में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होना है. वहां के दो बड़े राजनीतिक ध्रुव तृणमूल कांग्रेस वमाकपा केसाथ दो राष्ट्रीय दल कांग्रेस व भाजपाभी अपनी अपनी भूमिकाएं व संभावनाएं तलाश रही है. भारतीय जनता पार्टी जहां सीधे तौर तृणमूलके खिलाफ उपस्थिति दर्ज कराने का हुंकार भर रहीहैं, वही कांग्रेस यह संभावना तलाश रही हैकि क्यावहमाकपा से गठजोड़ कर राज्यकी सत्ता सेममता बनर्जी के नेतृत्व वाले तृणमूल को सत्ता से बाहर कर सकेगी या नहीं.
क्या एक होगी कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां ?
मुश्किल यह होगी कि अगर वह इतनी सीटें कांग्रेस को देती है, तो उसके तीन सहयोगियों व खुद उसकी झोली से ही सीटें जायेंगी. ध्यान रहे कि पिछले चुनाव में माकपा ममता लहर में आश्चर्यजनक रूप से 40 सीटों पर व भाकपा में दो सीटों सीमित रह गयी थी.
क्या नहीं हो सकता कांग्रेस और लेफ्ट का गंठबंधन ?
वर्द्धमान विस्फोट, मालदा में हुई हिंसक झड़प और सुभाष चंद्र बोस के दस्तावेद को सार्वजनिक करने के फैसले को भाजपा भुना रही है. हालांकि राज्य सरकार ने पहले ही सुभाष चंद्र बोस के वो दस्तावेज जो राज्य सरकार के पास थे उसे सार्वजनिक कर दियाथा, लेकिन विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा द्वारा लिया गया यह फैसला कुछ न कुछ तो असर करेगा ही. नेताजी के प्रपौत्र भी पिछले दिनों अमित शाह की रैली में भाजपा में शामिल हो गये हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को वोट प्रतिशत कांग्रेस से ज्यादा था, भाजपा 17 प्रतिशत वोट बैंक के साथअपनी ताकत दिखाने में कामयाब रही थी. लेकिन पिछले दिनों हुए निकाय चुनाव में इसमें गिरावट आयी.
पिछले दिनों गृहमंत्री राजनाथ सिंह और अमित शाह ने एक बड़ी रैली की. स्मृति ईरानी ने भी मां दुर्गा का नाम लेकर हुंकार भरा. भाजपा ने अपने कई केंद्रीय नेताओं को राज्य में पहले ही तैनात कर दिया है. वहीं दूसरी ओर विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कमर कस ली है और सभाओं को संबोधित कर रहीहैं. उधर, राष्ट्रीय राजनीति में अपनी आभा खो चुकी लेफ्ट पार्टियां के लिए भी यह चुनाव अस्तित्व का सवाल बन गया है. ऐसे में यह देखना दिलचस्पचुनाव मैदान में किसकी सेना कैसे सजती है.