सम्मान, वर्दी व रोटी की भी जरूरत

कोलकाता. रेलमंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने रेल बजट 2016-17 में घोषणा की कि अब कुलियों का नया नाम सहायक या हेल्पर होगा. उनकी वर्दी में भी बदलाव होगा. रेल अधिकारियों की मानें तो रेलमंत्री का यह फैसला इसलिए है कि कुली शब्द औपनिवेशिक काल की याद दिलाती थी. मंत्रालय मानता है कि अगरेजों ने अकुशल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 26, 2016 2:24 AM
कोलकाता. रेलमंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने रेल बजट 2016-17 में घोषणा की कि अब कुलियों का नया नाम सहायक या हेल्पर होगा. उनकी वर्दी में भी बदलाव होगा. रेल अधिकारियों की मानें तो रेलमंत्री का यह फैसला इसलिए है कि कुली शब्द औपनिवेशिक काल की याद दिलाती थी. मंत्रालय मानता है कि अगरेजों ने अकुशल श्रमिकों के लिए कुली संबोधन का इस्तेमाल किया था. हावड़ा स्टेशन के कुलियों की राय हमने जानी.

पिछले 20 वर्षों से हावड़ा स्टेशन पर कुली का कार्य कर रहे मो. मुख्तार कहते हैं कि सुरेश प्रभु ने जो हमारे लिए किया वह अच्छा है, लेकिन चिंता होती है कि कहीं वर्दी बदलने पर यात्री हमें पहचाने से ही मना न कर दें.

सुरेश राय कहते हैं कि हर रेलमंत्री से आशा रहती है कि वह बजट में हमारे लिए कुछ करेंगे, लेकिन होता कुछ नहीं है. सुरेश प्रभुजी यदि हम बुढ़े कुलियों के स्थान पर हमारे लड़कों को नौकरी की व्यवस्था कर देते तो राहत मिलती.
राम किशन साव कहते हैं कि पूरा जीवन हावड़ा स्टेशन पर कुलीगीरी करते बीत गया. जबसे रेल बना है तब से लाल रंग की वर्दी हमें मिली, आज कोई भी व्यक्ति ट्रेन में बैठे-बैठे ही समझ जाता है कि हम कुली हैं, लेकिन नयी वर्दी कैसी होगी हम नहीं जानते, लेकिन यात्रियों को हमें पहचानने में थोड़ी दिक्कत जरूर होगी. पिछले 25 वर्षों से हावड़ा स्टेशन पर कुली का कार्य करनेवाले भीखम राय कहते हैं : हमें आशा थी कि रेलमंत्री कुलियों के लिए पेंशन की व्यवस्था करेंगे. हावड़ा स्टेशन पर कार्य करनेवाले ज्यादातर कुली वृद्ध हो चुके हैं, लेकिन पेट भरने के लिए अभी भी कार्य कर रहे हैं.
राजनारायण ज्वाला कहते हैं कि प्रभु ने हमारी वर्दी चेंज करके हमारे लिए अच्छा काम किया, लेकिन उन्हें अब बूढ़े हो चले हमारे शरीर के बारे में भी सोचना चाहिए. मिश्री राय कहते हैं कि हावड़ा स्टेशन पर काफी संख्या में अन्य रंग की वर्दी में अवैध कुली अपना धंधा चलाते हैं, लेकिन यदि हमारी वर्दी भी बदलेगी तो उसका फायदा वे कुली उठा लेंगे. ऐसा होने पर हमारी रोजी-रोटी मरेगी. बिहार के छपरा निवासी बीरबल कहते हैं कि रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने भारी भरकम सामान उठानेवाले हम कुलियों के सम्मान के बारे में सोचा और हमें नया संबोधन दिया जिसका स्वागत होना चाहिए. यह इस बजट की सबसे बड़ी बात है. अब हम कुली नहीं यात्रियों का सहायक होंगे.

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