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सड़क दुर्घटना में मृत्यु में बंगाल चौथे स्थान पर
राज्य में प्रति 100 हादसों में मारे जानेवाले लोगों का प्रतिशत 51.4 है कोलकाता : सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, सड़क हादसों में हर साल करीब 5,000 लोगों के मारे जाने के साथ पश्चिम बंगाल सड़क हादसों की संख्या के लिहाज से देश के शीर्ष 13 राज्यों में से एक है. […]
राज्य में प्रति 100 हादसों में मारे जानेवाले लोगों का प्रतिशत 51.4 है
कोलकाता : सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, सड़क हादसों में हर साल करीब 5,000 लोगों के मारे जाने के साथ पश्चिम बंगाल सड़क हादसों की संख्या के लिहाज से देश के शीर्ष 13 राज्यों में से एक है. 2014 के आंकड़े के अनुसार, राज्य में प्रति 100 हादसों में मारे जानेवाले लोगों का प्रतिशत 51.4 है, जो देश में चौथा सर्वाधिक है.
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अधीन आनेवाले राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद के सदस्य कमल सोई ने गुरुवार को कहा कि पश्चिम बंगाल में सड़क हादसों का करीब 45-50 प्रतिशत माल ढोनेवाले वाहन और वाणिज्यिक वाहनों से जुड़ा है. तेज रफ्तार वाले वाणिज्यिक वाहनों ने राज्य में इस तरह के हादसों में होने वाली मौतों में प्रमुख भूमिका निभायी है.
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में सड़क हादसों से होने वाली मौत का दर 52 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 13 प्रतिशत है. उच्चतम न्यायालय ने सभी वाणिज्यिक वाहनों में गति नियंत्रक लगाना अनिवार्य कर दिया है. एक अक्तूबर, 2015 से सभी नये परिवहन वाहनों – ट्रक, बस, डंपर, मिनी बस के लिए 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार सीमित करने के लिए गति नियंत्रक लगाना अनिवार्य है. पहले से चल रहे वाहनों को ऐसे नियंत्रक इस साल एक अप्रैल तक लगाने होंगे. साथ ही मंत्रालय की हाल की एक अधिसूचना के अनुरूप स्कूल बसों, डंपर और संवेदनशील सामान ढोनेवाले वाहनों के गति सीमा उपकरण उनकी रफ्तार 60 किलोमीटर प्रति घंटे कर देंगे.
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