भाकपा (माले) ने चुनावी घोषणापत्र जारी किया

कोलकाता. विधानसभा चुनाव को लेकर भाकपा (माले) ने बुधवार को चुनावी घोषणापत्र जारी कर दिया. घोषणापत्र में पार्टी ने तृणमूल कांग्रेस, भाजपा और कांग्रेस को वोट नहीं देने की अपील की है. वाममोरचा द्वारा कांग्रेस से समझौता किये जाने की भी आलोचना की गयी है. घोषणापत्र में उपरोक्त समझौते को लेकर माकपा समेत वाममोरचा में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 31, 2016 1:44 AM
कोलकाता. विधानसभा चुनाव को लेकर भाकपा (माले) ने बुधवार को चुनावी घोषणापत्र जारी कर दिया. घोषणापत्र में पार्टी ने तृणमूल कांग्रेस, भाजपा और कांग्रेस को वोट नहीं देने की अपील की है. वाममोरचा द्वारा कांग्रेस से समझौता किये जाने की भी आलोचना की गयी है. घोषणापत्र में उपरोक्त समझौते को लेकर माकपा समेत वाममोरचा में शामिल अन्य घटक दलों की भूमिका पर सवाल उठाये गये हैं.

भाकपा (माले) के प्रदेश सचिव पार्थ घोष ने कहा कि कांग्रेस से समझौता करने की वजह से ही पार्टी ने वाममोरचा का साथ नहीं देने का फैसला लिया. घोषणापत्र में भाकपा (माले) और एसयूसीआइ उम्मीदवारों को विजयी बनाने का अाह्वान करने के साथ ही पार्टी ने आम लोगों से 18 वायदे किये हैं.

इन वायदों में लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा करना, पिछड़े अल्पसंख्यकों समुदाय के लोगों के विकास पर जोर देना, महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना, मजदूरों के लिए प्रति वर्ष 200 दिनों तक कार्य की व्यवस्था करना, मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी करीब 500 रुपये तय किया जाना, बंद चाय बागानों और कारखानों को खोलने के लिए आंदोलन को और मजबूत करना, सिंगूर में किसानों की जमीन वापस लौटाने पर जोर देना, नंदीग्राम कांड के दोषियों को सजा दिलाने पर जोर देना, टेट परीक्षा में कथित भ्रष्टाचार की जांच व दोषियों को सजा दिलाने की मांग पर आंदोलन मजबूत करना, अस्थायी शिक्षकों के स्थायीकरण किये जाने का समर्थन करना, प्रदूषण के खिलाफ प्रचार जारी रखना प्रमुख हैं.

भाकपा (माले) के नेता कार्तिक पाल ने बताया कि घोषणापत्र में तृणमूल कांग्रेस के शासनकाल में राज्य की बदहाल स्थिति का जिक्र भी है. इनमें करोड़ों रुपये के सारधा चिटफंड कांड, नारद स्टिंग ऑपरेशन में कथित तौर पर तृणमूल नेताओं को रुपये लेते हुए दिखाये जाने का मसला, चाय बागानों और कारखानों का बंद होना, महिलाओं पर होने वाले आपराधिक मामलों में बढ़ोतरी, विपक्षी दलों के नेताओं व कार्यकर्ताओं पर हमले, लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन की कोशिश की बात शामिल है.

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