फ्लाइओवर हादसा : बुद्धिजीवियों ने किया विरोध-प्रदर्शन

कोलकाता. महानगर के पोस्ता क्षेत्र में हुए विवेकानंद फ्लाइओवर हादसे के खिलाफ अब राज्य के बुद्धिजीवी व सिने-जगत के सितारे भी रास्ते पर उतर आये हैं. सोमवार को बुद्धिजीवियों ने विरोध प्रदर्शन किया. इस मौके पर बांग्ला फिल्म अभिनेता सौमित्र चटर्जी ने कहा कि पोस्ता में जिस प्रकार की घटना हुई है, उससे वे स्तब्ध […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 5, 2016 7:46 AM

कोलकाता. महानगर के पोस्ता क्षेत्र में हुए विवेकानंद फ्लाइओवर हादसे के खिलाफ अब राज्य के बुद्धिजीवी व सिने-जगत के सितारे भी रास्ते पर उतर आये हैं. सोमवार को बुद्धिजीवियों ने विरोध प्रदर्शन किया. इस मौके पर बांग्ला फिल्म अभिनेता सौमित्र चटर्जी ने कहा कि पोस्ता में जिस प्रकार की घटना हुई है, उससे वे स्तब्ध हैं.

उन्होंने घटना के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की. उन्होंने कहा कि पहले इस घटना की निष्पक्ष रूप से जांच हो और उसके बाद बिना किसी राजनीति के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई हो. विरोध-प्रदर्शन करनेवालों ने मोमबत्ती जलाकर घटना में मारे गये लोगों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की. इस मौके पर पूर्व न्यायाधीश एके गांगुली, पूर्व मेयर विकास रंजन भट्टाचार्य सहित अन्य उपस्थित थे.

अब भी हादसे का जिक्र है

पोस्ता फ्लाइओवर हादसे के बाद से इलाके के लाखों लोग भय व दहशत में जीने को विवश थे. पूरा इलाका जैसे श्मशान में तब्दील नजर आता था. इस उदासी के मंजर के निशान अब भी यहां मौजूद हैं.

परंतु हादसे के चार दिनों बाद धीरे-धीरे अब यहां जनजीवन सामान्य होता नजर आ रहा है. भले ही अपने परिजनों को खोने का दर्द अब भी लोगों के चेहरे पर साफ नजर आता है, पर खुलते दुकान व लोगों की चहल पहल जनजीवन सामान्य होने का अहसास कराती है. इलाके में कई स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्यकर्ताओं की मौजुदगी के साथ सड़क के दोनों ओर पड़े कंक्रिट व लोहे की विशालकाय स्तंभ के साथ इस दुर्घटना में पिचकी गाड़ियां लोगों को हादसे को भूलने नहीं दे रही है.

पास से बाइक व चार चक्के से गुजरने वाले अंचभित व सशंकित से देखते हुए गुजर रहे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि जैसे भी हो इस फ्लाइ ओवर के निर्माण को बंद करना ही उचित है. अब सरकार का फैसला ही अंतिम है. वहीं जिन लोगों को मकान खाली करने का नोटिस मिला है, वह इस हादसे के बाद और भी बुरी तरह से परेशान है. उनके सामने यही सवाल है कि आखिर जाएं तो कहां जाएं.

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