इसके कारण विवेकानंद फ्लाइओवर के निर्माण कार्य में कहां लापरवाही हुई और लापरवाही किसकी है, इस बारे में वे भी कंपनी की तरफ से अंदरुनी जांच कर रहे हैं. इस संबंध में जांच कर रहे पुलिसकर्मियों का कहना है कि इस तरह के बयान से इनकी लापरवाही को नजरंदाज नहीं किया जा सकता. इतने दिनों से चल रहे प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी नहीं दी जा रही थी, निदेशकों का इस तरह का जवाब स्वीकार योग्य नहीं था. लिहाजा दोनों अधिकारियों व चीफ इंजीनियरों को गिरफ्तार करने का निर्णय लिया गया. इस बारे में कोलकाता पुलिस के संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) देवाशीष बोराल ने बताया कि पोस्ता थाने में उस कंपनी के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के बाद ही उसके निदेशकों को हैदराबाद से पूछताछ के लिए बुलाया गया था. प्राथमिक स्तर पर उनसे पूछताछ की गयी. वहां ग्राउंड स्तर में काम कर रहे दो चीफ इंजीनियरों से भी पूछताछ हुई, लेकिन सटीक जवाब नहीं मिलने के कारण चारों को गिरफ्तार करने का निर्णय लिया गया. चारों को मंगलवार को बैंकशाॅल कोर्ट में पेश किया जायेगा.
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फ्लाइओवर हादसा: दो अधिकारी व दो चीफ इंजीनियर गिरफ्तार
कोलकाता: गणेश टॉकिज इलाके में ढहे विवेकानंद ओवरब्रिज मामले में आइवीआरसीएल कंपनी के दो अधिकारियों व दो चीफ इंजीनियरों को लालबाजार की टीम ने लंबी पूछताछ के बाद सोमवार शाम को गिरफ्तार कर लिया गया. गिरफ्तार अधिकारियों के नाम ए गोपाल कृष्णमूर्ति (निदेशक, ऑपरेशन), एसके रत्नान (डिप्टी जनरल मैनेजर, प्रोजेक्ट) व दो चीफ इंजीनियर श्यामल […]
कोलकाता: गणेश टॉकिज इलाके में ढहे विवेकानंद ओवरब्रिज मामले में आइवीआरसीएल कंपनी के दो अधिकारियों व दो चीफ इंजीनियरों को लालबाजार की टीम ने लंबी पूछताछ के बाद सोमवार शाम को गिरफ्तार कर लिया गया. गिरफ्तार अधिकारियों के नाम ए गोपाल कृष्णमूर्ति (निदेशक, ऑपरेशन), एसके रत्नान (डिप्टी जनरल मैनेजर, प्रोजेक्ट) व दो चीफ इंजीनियर श्यामल मान्ना और विद्युत मन्ना हैं. गिरफ्तारी के पहले चारों को लालबाजार में बुला कर लगभग तीन घंटे तक पूछताछ हुई थी. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, पूछताछ में आइवीआरसीएल के अधिकारियों ने बताया कि वे हैदराबाद में कंपनी के अन्य कार्य की देखरेख करते हैं.
कोलकाता में उनका जहां प्रोजेक्ट चल रहा है, उसकी रिपोर्ट वे कोलकाता में नियुक्त रंजीत भट्टाचार्य नामक स्थानीय अधिकारी से लेते हैं. हैदराबाद से आये निदेशकों का कहना है कि कोलकाता में बन रहे फ्लाइओवर की स्टेटस रिपोर्ट कुछ महीनों से उन्हें नहीं मिल रही थी. निर्माण कार्य किस स्टेज पर है, इस बारे में उन्हें कुछ भी पता नहीं था.
वहीं दूसरी तरफ इस घटना की जांच कर रहे स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम के सदस्यों का कहना है कि पी-40 पिलर के निर्माण में जिस इस्पात व लोहे का इस्तेमाल किया गया था, वह काफी निम्न क्वालिटी का था. निम्न क्वालिटी के इस्पात व लोहे के कमजोर नट-बोल्ट से बने पिलर के ऊपर दिये गये ब्रिज के बोझ को पिलर सह नहीं पाया और पिलर का दाहिना हिस्सा ढह गया. लिहाजा लोहा व इस्पात सप्लाई करनेवाली कंपनी के अधिकारियों से भी पूछताछ हो रही है. लापरवाही बरतने के और सबूत मिलने पर जल्द कुछ और गिरफ्तारियां होंगी.
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