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अतीत में जीना पसंद नहीं : उषा उत्थुप

कोलकाता. जानी मानी गायिका उषा उत्थुप के समकालीन गायकों ने जहां नये जमाने की शैली से खुद को अलग रखना उचित समझा, वहीं गायिका ने इसके विपरीत अपनी गायकी जारी रखी है और उनका कहना है कि वह अतीत में जीना पसंद नहीं करतीं. चेन्नई में 1967 में एक छोटे से नाइट क्लब में अपनी […]

कोलकाता. जानी मानी गायिका उषा उत्थुप के समकालीन गायकों ने जहां नये जमाने की शैली से खुद को अलग रखना उचित समझा, वहीं गायिका ने इसके विपरीत अपनी गायकी जारी रखी है और उनका कहना है कि वह अतीत में जीना पसंद नहीं करतीं. चेन्नई में 1967 में एक छोटे से नाइट क्लब में अपनी संगीत यात्रा की शुरुआत करनेवाली भारतीय पॉप साम्राज्ञी उषा अभी भी मजबूती से आगे बढ़ रही हैं और नये-नये गीतों व रिमिक्स की रिकॉर्डिंग कर रही हैं.

साथ ही वह लाइव शो भी करती हैं. उन्होंने कहा कि वह अतीत में जीना नहीं चाहती. उनके लिए अतीत की यादें ही काफी हैं. उन दिनों की सोच अलग थी और आगे बढ़ने के लिए आपको समय निकालना होता था, अच्छे दोस्त बनाने होते थे.

कोलकाता में बंगाली रियलिटी शो ‘फिरे असर गान’ में जज की भूमिका निभाने के बाद उन्होंने ये बातें कहीं. कार्यक्रम में उनके साथ बतौर जज दो अन्य दिग्गज बप्पी लाहिड़ी और अमित कुमार भी हैं. सामी बहनों के नाम से मशहूर ‘सामी सिस्टर्स’ की सदस्य के तौर पर अपने कैरियर की शुरुआत करनेवाली उषा ने कहा कि 70-80 का दशक अलग था और उस दौरान लाइव प्रस्तुतियों में बहुत मजा आता था. उन्होंने बप्पी दा के साथ किये गये काम को भी याद किया. 13 भारतीय और आठ विदेशी भाषाओं में आवाज दे चुकीं 68 वर्षीय उषा उत्थुप ने कहा कि तब से अब तक के रवैये और प्रौद्योगिकी में काफी कुछ बदलाव आया है. आपको यहां टिके रहने के लिए प्रयास करने होते हैं.

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