विकास में बाधा हैं विरोधी दल : पार्थ
कोलकाता: तृणमूल सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर विपक्षी दलों द्वारा उसकी आलोचना किये जाने पर तृणमूल नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया जतायी है. रविवार को तृणमूल भवन में पार्टी के नेता व उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी ने इस मुद्दे पर कांग्रेस व वाम मोरचा के दलों पर कटाक्ष किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस व […]
कोलकाता: तृणमूल सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर विपक्षी दलों द्वारा उसकी आलोचना किये जाने पर तृणमूल नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया जतायी है. रविवार को तृणमूल भवन में पार्टी के नेता व उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी ने इस मुद्दे पर कांग्रेस व वाम मोरचा के दलों पर कटाक्ष किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस व वाम मोरचा की पार्टियों को तृणमूल सरकार के विकास कार्य नजर नहीं आ रहे हैं. असल में विपक्ष केवल दलगत राजनीति करता है, विकास नहीं चाहता है.
पार्थ चटर्जी ने आरोप लगाया कि तृणमूल सरकार के खिलाफ कुप्रचार करने में कांग्रेस व वामपंथी दल एक हो गये हैं. पहले दोनों दल एक-दूसरे के खिलाफ थे, लेकिन अब एक हैं. आरोप के मुताबिक कांग्रेस व माकपा के नेताओं में मामा-भांजे जैसे रिश्ता हो गया है. राज्य की आर्थिक स्थिति व विकास को लेकर कांग्रेस के कटाक्ष का जवाब देते हुए श्री चटर्जी ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस के नेताओं को जानकारी होनी चाहिए कि पूर्व की वाम मोरचा सरकार के सत्ता में रहने के दौरान राज्य पर करीब 2.03 लाख करोड़ रुपये का कर्ज आ गया.
करीब 25 हजार करोड़ रुपये तो कर्ज व सूद के रूप में केंद्रीय सरकार के खजाने में चले जा रहे हैं. ऐसे में तृणमूल सरकार पर उंगली उठाना गलत है.
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार से राज्य की ओर से कई बार आर्थिक मदद मांगी गयी, पर कोई फायदा नहीं हुआ. यदि प्रदेश कांग्रेस को राज्य के विकास की चिंता होती, तो वह केंद्र पर राज्य के विकास के लिए मदद की पैरवी करती.
माकपा को घेरते हुए पार्थ चटर्जी ने आरोप लगाया कि अब राज्य सरकार की आलोचना के लिए सीटू नेता श्यामल चक्रवर्ती को मैदान में उतारा गया है. उन्होंने माकपा नेताओं को चुनौती दी कि तृणमूल सरकार के विकास के दावे यदि झूठे हैं, तो वे पर्याप्त सबूत जनता के समक्ष पेश करें. उन्होंने दावा किया कि आर्थिक समस्या के बाद भी तृणमूल सरकार की नीतियों के कारण उसने पिछले वित्त वर्ष में करीब 7.6 की विकास दर हासिल की, जबकि राष्ट्रीय औसत विकास दर लगभग 4.96 फीसदी है.