बंगाली समाज को भी जोड़े गणगौर उत्सव से
कोलकाता : सामाजिक क्षेत्र में संल्गनता के कारण गणगौर उत्सव को नजदीक के साथ जानने का मौका मिला. इसके पहले मैं भी गणगौर पूजा के महत्व और इसकी विशेषता से अनभिज्ञ था. बंग भूमि में इस तरह के सांस्कृतिक उत्सव को देखकर मन हर्षित होता है. इस तरह के कार्यक्रमों में स्थानीय बांग्लाभाषी समाज को […]
कोलकाता : सामाजिक क्षेत्र में संल्गनता के कारण गणगौर उत्सव को नजदीक के साथ जानने का मौका मिला. इसके पहले मैं भी गणगौर पूजा के महत्व और इसकी विशेषता से अनभिज्ञ था. बंग भूमि में इस तरह के सांस्कृतिक उत्सव को देखकर मन हर्षित होता है. इस तरह के कार्यक्रमों में स्थानीय बांग्लाभाषी समाज को भी शामिल करें और जोड़ें. ताकि उन्हें भी गणगौर पूजा के बारे में नजदीक से जानने का एक अवसर मिल सके.
ये बातें शुक्रवार को त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत राय ने श्री श्री मनसापूर्ण गवरजा माता मंडली के गणगौर महोत्सव का उदघाटन करने के बाद कही. बड़ाबाजार के ढ़ाकापट्टी (मनसा चौक) में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर उद्योगपति विट्ठल दास मूंधड़ा ने कहा कि पूरे राजस्थान में होली के बाद से ही गौरी गीतों के गायन की परंपरा है.
खास कर बीकानेर तो इस अवधि के दौरान गौरी के गीतों से गूंज उठता है. श्री मूंधड़ा ने गणगौर के पुराने गीतों का संग्रह गौरी गीत को पुस्तक का रूप देकर संस्था को समर्पित किया. उन्होंने कहा कि मां गवरजा की आराधना हजारों वर्षों से होती आ रही है. उन्होंने इस तथ्य को शास्त्र सम्मत कई मंत्रों के जरिये उद्धत किया. इस अवसर पर प्रभात खबर, कोलकाता के संपादक तारकेश्वर मिश्र ने संस्था की स्मारिका का विमोचन किया.
अन्य विशिष्ट अतिथियों में पार्षद मीना देवी पुरोहित, महेंद्र चौधरी, पार्षद विजय ओझा, समाजसेवी स्वपन बर्मन, प्रधान वक्ता विप्र फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक सुशील ओझा, ट्रस्ट अध्यक्ष नंदलाल पुरोहित,समाजसेवी भोला सोनकर, भंवरलाल मूंधड़ा, ज्योतिषाचार्य शिवदयाल व्यास (फन्ना भाईजी), उद्योगपति बनवारी लाल सोती मुख्य रुप से समारोह में उपस्थित रहें.स्वागत भाषण मंत्री राजकुमार व्यास काकू ने दिया. समारोह की अध्यक्षता माणिक लाल आचार्य ने की.
संस्था के अध्यक्ष मोहन लाल व्यास, सचिव आशाराम पुरोहित, कोषाध्यक्ष गोपाल व्यास व नरेश किराडु ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया. विमल जोशी, प्रहलाद उपाध्याय, डॉ .अवंतिका बोहरा, मनोज ओझा, जगदीश हर्ष, नवरतन आचार्य, कन्हैयालाल व्यास, विनय पुरोहित, गिरीराज व्यास, ओम पुरोहित, जेठमल रंगा व अन्य आयोजन की सफलता के लिए सक्रिय रहे. संचालन केदार उपाध्याय, अशोक व्यास व नम्रता व्यास ने किया.