सीएसआर प्रोफेशनल्स की बढ़ रही है मांग
कोलकाता. पूरे देश में कार्यरत कई बड़ी कॉरपोरेट कंपनियां सीएसआर के जरिये सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहती हैं. प्रति वर्ष 15-20 करोड़ रुपये सीएसआर पर खर्च किये जाते हैं. कॉरपोरेट जगत में प्रशिक्षित प्रोफेशनल सीएसआर की मांग बढ़ती जा रही है. सामाजिक कार्यों में रुचि रखनेवाले लोगों के लिए इस क्षेत्र में रोजगार की अपार […]
भारत में यह अपने तरह का ऐसा खास कोर्स है, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर दक्ष सीएसआर प्रोफेशनल्स तैयार किये जा सकते हैं. यह जानकारी मंगलवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में आइलीड के चैयरमेन प्रदीप चोपड़ा ने दी. उन्होंने बताया कि कोर्स की अवधि 9 महीने है आैर इसमें छात्रों को आइआइसीए द्वारा ट्रेनिंग दी जायेगी. लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम के जरिये ई-लर्निंग मोड से पढ़ाने के अलावा छात्रों को प्रैक्टिकल प्रोजेक्ट भी करवाये जायेंगे. यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी द्वारा एफिलियेटेड आइलीड छात्रों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की गुणवत्तापरक शिक्षा देने में हमेशा सक्रिय रहता है.
यह कोर्स कॉरपोरेट जगत के लिए दक्ष सीएसआर प्रोफेशनल्स तैयार करने के साथ रोजगार के अवसर भी बढ़ाने में भी सहायक सिद्ध होगा. इस माैके पर आइआइसीए के मुख्य प्रोग्राम एक्जीक्यूटिव (नेशनल फाउंडेशन फॉर सीएसआर) निखिल पंत ने जानकारी दी सामाजिक गतिविधियों के तहत बड़े कॉरपोरेट हाउस में उन अनुभवी सीएसआर प्रोफेशनल्स की जरूरत होती है जो पैसे के सही उपयोग के साथ-साथ प्रबंधन में भी माहिर हो. प्रजातंत्र प्रक्रिया में सीएसआर का विशेष योगदान है.
इस नजरिये से यह पहल युवाओं के लिए नया विकल्प है. सीएसआर कोर्स से कॉरपोरेट व सामाजिक क्षेत्र में रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे. पहले बैच में ही 170 सीएसआर प्रोफेशनल्स तैयार हो गये हैं. आइआइसीए सरकार व इंडस्ट्री स्टेकहोल्डर्स के बीच बेहतरीन व्यापारिक सहभागिता के लिए एक प्लेटफार्म प्रदान करता है. आइआइसीए एक बड़े व दीर्घकालीन बिजनेस में बेहतरीन व अनुभवी लीडर तैयार करता है. कॉर्पोरेट अफेयर्स से जुड़े महत्वपूर्ण मसलों पर अनुभवी दक्ष प्रोफेशनल तैयार करता है, जिसका असर लेजिसलेटिव, नीति व गवर्नेंस प्रणाली पर पड़ता है.