कोलकाता की चिटफंड कंपनियों का जाल
* सहरसा में भी करोड़ों का कारोबार* दो दर्जन से अधिक शाखाएं प्रमंडलीय मुख्यालय में हैं कार्यरत* आकर्षक ऑफर देकर जमा करा रही गरीबों के पैसे* पांच साल में डबल करने का कर रही दावासहरसा/कोलकाता : पश्चिम बंगाल के कोलकाता में चिटफंड सारधा ग्रुप सहित अन्य कंपनियों के दफ्तर सील किये जाने के बाद स्थानीय […]
* सहरसा में भी करोड़ों का कारोबार
* दो दर्जन से अधिक शाखाएं प्रमंडलीय मुख्यालय में हैं कार्यरत
* आकर्षक ऑफर देकर जमा करा रही गरीबों के पैसे
* पांच साल में डबल करने का कर रही दावा
सहरसा/कोलकाता : पश्चिम बंगाल के कोलकाता में चिटफंड सारधा ग्रुप सहित अन्य कंपनियों के दफ्तर सील किये जाने के बाद स्थानीय स्तर पर भी संचालित हो रही कंपनी में निवेश करने वाले लोगों की चिंता धन वापसी को लेकर बढ़ गयी है
जिले के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न ब्रांडों से संचालित अधिकांश चिटफंड कंपनियों का मुख्यालय कोलकाता ही है, जबकि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा क्रमश: वहां संचालित चिटफंड के दफ्तरों को सील किया जा रहा है या फिर कंपनी के कर्ताधर्ता स्वयं ही मैदान छोड़ फरार हो गये हैं.
इसमें सबसे आश्चर्यजनक बात यह कि रोजाना लाखों रुपये का लेन-देन करने वाली इन अधिकांश कंपनियों के कार्यालय की जानकारी जिला प्रशासन को नहीं है. हालांकि कुछ कंपनी द्वारा स्थानीय प्रशासन से व्यावसायिक निबंधन कराया गया है.
मालूम हो कि पूरब बाजार से लेकर हटियागाछी, धर्मशाला रोड, गांधी पथ, नया बाजार मोहल्ले में दर्जनों चिटफंड कंपनियां पांच साल में जमा की गयी रकम को दोगुना करने का प्रपंच रच रही है. जिला प्रशासन व आर्थिक अपराध अनुसंधान इकाई द्वारा समय रहते इन कंपनियों के दफ्तर में अभिलेखों की जांच नहीं की जाती है तो संभवत: कोलकाता के लोगों की ही तरह स्थानीय स्तर पर छोटे निवेशकों के गाढ़ी कमाई को डूबने से नहीं बचाया जा सकेगा.
* आकर्षक व लुभावना वादा : मूल रूप से कोलकाता चिटफंड कंपनियों का कार्यालय होता है, जो आम लोगों को तरह-तरह के लुभावने व आकर्षक योजनाएं पेश कर कम समय में रकम डबल करने का आश्वासन देती है. नतीजतन कई शहरों से इस प्रकार की कंपनी का बंद कर भाग जाने व गरीब लोगों की जमा पूंजी गंवा दिये जाने की जानकारी मिल रही है.
इन कंपनियों द्वारा पेड़ लगाना, रियल स्टेट निवेश, उद्योग स्थापना, शेयर बाजार में निवेश, पशुपालन जैसी कई योजनाओं में निवेश की जानकारी दी जाती है, जो सुविधा लोगों को राष्ट्रीयकृत बैंक व डाक घरों में नहीं मिल पाती है. इन कंपनियों द्वारा दस रुपये से लेकर हजारों व लाखों में निवेश करवाया जाता है, जिसमें सबसे ज्यादा निशाने पर गरीब तबके के लोग ही रहते हैं.
* स्थानीय लोगों की लेती है मदद : कोलकाता की चिटफंड कंपनियों द्वारा छोटे-छोटे शहरों में अपना ब्रांच खोला जाता है, जहां कमीशन व वेतन का लोभ देकर स्थानीय बेरोजगार युवाओं को अपनी टीम में शामिल किया जाता है. इन कंपनियों द्वारा निवेशकों को कंपनी से जोड़ने के लिए अपने एजेंटों को टीवी, फ्रीज, बाइक व कार जैसे उपहारों का लोभ भी दिया जाता है.
* महिलाओं पर है पहला निशाना : चिटफंड कंपनियों द्वारा लांचिंग के बाद सर्वप्रथम ग्रामीण व शहरी क्षेत्र की घरेलू महिलाओं को छोटी-छोटी रकम कर्ज में देकर अपने जाल में फंसाया जाता है. हालांकि इन कंपनियों को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लेन-देन करने का अधिकार प्राप्त नहीं होता है. लेकिन इन कंपनियों द्वारा निवेशकों को कंपनी का सदस्य बना लेन-देन की प्रक्रिया शुरू कर ली जाती है. इन दिनों आवासीय मोहल्लों में कमेटी बना महिलाओं द्वारा एक निश्चित रकम जमा करने की योजना काफी प्रचलित है.