जूट आयुक्त गेहूं को जूट पैकिंग से छूट देने के खिलाफ

कोलकाता. केंद्र सरकार द्वारा गेहूं को अनिवार्य पैकेजिंग कानून से छूट दिये जाने के प्रस्ताव का विरोध करते हुए जूट आयुक्त कार्यालय ने आगाह किया कि इसका प्रभाव जूट उद्योग पर पड़ेगा. कैबिनेट सचिव के अधीनस्थ सचिवों की समिति के समक्ष 22 अप्रैल को दी गयी एक प्रस्तुती में जूट आयुक्त ने यह बात रखी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 25, 2016 8:24 AM
कोलकाता. केंद्र सरकार द्वारा गेहूं को अनिवार्य पैकेजिंग कानून से छूट दिये जाने के प्रस्ताव का विरोध करते हुए जूट आयुक्त कार्यालय ने आगाह किया कि इसका प्रभाव जूट उद्योग पर पड़ेगा. कैबिनेट सचिव के अधीनस्थ सचिवों की समिति के समक्ष 22 अप्रैल को दी गयी एक प्रस्तुती में जूट आयुक्त ने यह बात रखी कि यदि रबी की फसल (गेहूं) को जूट पैकेजिंग सामग्री (जिंसों की पैकेजिंग में अनिवार्य उपयोग) कानून 1947 से छूट दी गयी तो करीब 1.42 रोजगार दिवसों पर इसका असर होगा.

जूट आयुक्त सुब्रत गुप्ता ने बताया कि उन्होंने अपनी प्रस्तुती में यह बात रखी थी कि यदि एक ही बार में अनिवार्य जूट पैकिंग कानून से गेहूं की फसल को छूट दे दी गयी तो करीब 1.42 करोड़ रोजगार दिवस प्रभावित हाेंगे, जिनकी भरपाई किसी अन्य विकल्प से नहीं की जा सकेगी.

गेहूं की पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाले बोरे जूट के बोरों के कुल उत्पादन का करीब आधी खपत करते हैं और यह करीब 3000 करोड़ रुपये सालाना है. सूत्रों के अनुसार समिति जूट उद्योगों की समस्याओं से नाखुश है, जिसमें इस उद्योग के लिए सरकारी सब्सिडी का बढ़ता बोझ, गुणवत्ता की समस्या और मांग से कम आपूर्ति एवं खाद्य भंडारण में सरकार के लिए बढ़ती समस्या इत्यादि मामले शामिल हैं.

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