सभी दलों के कार्यकर्ता संशय में

19 मई को जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा, इसका आकलन शुरू हो चुका है. सभी दलों के पार्टी कार्यकर्ता ही नहीं, बल्कि उम्मीदवारों के बीच भी खलबली मची हुई है. बड़े से बड़े दिग्गज उम्मीदवार भी इस बार बैकफुट पर दिख रहे हैं. नारदा स्टिंग ऑपरेश्न उम्मीदवारों के लिए गले की हड्डी बनी हुई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 16, 2016 2:10 AM
19 मई को जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा, इसका आकलन शुरू हो चुका है. सभी दलों के पार्टी कार्यकर्ता ही नहीं, बल्कि उम्मीदवारों के बीच भी खलबली मची हुई है. बड़े से बड़े दिग्गज उम्मीदवार भी इस बार बैकफुट पर दिख रहे हैं. नारदा स्टिंग ऑपरेश्न उम्मीदवारों के लिए गले की हड्डी बनी हुई है. शायद यही कारण है कि गुलाल की बुकिंग अब तक बड़े पैमाने पर नहीं की जा रही है.
हावड़ा: सभी दलों के पार्टी कार्यकर्ता घबड़ाये हुए हैं. गुलाल विक्रेताओं का कहना है कि किसी भी दल के पार्टी कार्यकर्ता गुलाल की बुकिंग कर जोखिम नहीं लेना चाहते हैं, क्य‍ोंकि इस बार वह अपने उम्मीदवार के जीत के प्रति शत प्रतिशत आश्वस्त नहीं हैं. हालांकि 2011 में स्थिति ऐसी नहीं थी. बड़ाबाजार थोक बाजार के गुलाल कारोबारी समीरन पाल ने बताया कि पिछले विधानसभा चुनाव में विपरीत परिस्थिति थी. चुनाव खत्म होने के कुछ ही दिनों बाद हरे गुलाल की मांग जोरों पर थी.

मांग इतनी अधिक हो गयी थी कि समय पर सप्लाई देना संभव नहीं हो पाया था. पिछले चुनाव में प्रत्येक 10 बोरे हरे गुलाल में सिर्फ एक बोरा लाल गुलाल ही बिका था, लेकिन इस बार ऐसा होते नहीं दिख रहा है. गिनती के तीन दिन ही बाकी रह गये हैं, लेकिन अब तक हुई गुलाल की बिक्री पिछले विधानसभा चुनाव की अपेक्षा 50 फीसदी कम हैं.

व्यवसायि‍यों ने बताया कि चुनाव शुरू होने के पहले सब कुछ ठीक दिख रहा था. अंदाजा लग रहा था कि इस दफा भी हरे गुलाल की मांग पिछले बार की तरह रहेगी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है. समीरन पाल ने कहा कि इक्का-दुक्का छोड़ कर किसी भी दल के पार्टी कार्यकर्ता गुलाल खरीदने नहीं आ रहे हैं. काफी कम संख्या में गुलाल की बिक्री हो रही है, लेकिन साथ-साथ लाल गुलाल की मांग कम नहीं है. 10 बोरा में छह बोरा हरा गुलाल जबकि चार बोरा लाल गुलाल बिक रहा है. 19 मई, किस रंग का गुलाल बाजी मारेगा, इसका इंतजार पूरे राज्यवासी को है.
बाजार में लाल गुलाल उपलब्ध है लेकिन उसे खरीदने की नौबत ही नहीं आयेगी. 19 मई को फिर से समूचा राज्य हरे रंग की गुलाल में डूब जायेगा. गिनती शुरू होने तक ही गंठबंधन की सरकार बनी रहेगी. शाम तक दूध का दूध, पानी का पानी हो जायेगा.
राम प्रकाश राय, तृणमूल कांग्रेस नेता
19 मई को तृणमूल कांग्रेस के नेताओं व कार्यकर्ताओं का भ्रम टूट जायेगा. उस दिन राज्यवासी हरे रंग में नहीं बल्कि लाल रंग में डूबेंगे. जनता इस बार गलती नहीं दोहरायी है, जो वर्ष 2011 में उन्होंने की थी. गंठबंधन की सरकार बनना तय है.
बिमल प्रसाद, डीवाइएफआइ नेता.

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