कोलकाता: विधानसभा चुनाव के नतीजो के बाद से पूरे राज्य में राजनीतिक हिंसा का दौर जारी है. इन घटनाओं के खिलाफ भाजपा को छोड़ तमाम विपक्षी दलों को एकजुट होकर आंदोलन करना होगा. यह आह्वान भाकपा राज्य कमेटी की ओर से किया गया. भाकपा के राज्य सचिव प्रबोध पांडा ने मंगलवार को आरोप लगाया कि राजनीतिक हिंसा की घटना को रोक पाने में प्रशासन नाकाम है. भाजपा को आंदोलन में साथ नहीं लिये जाने के प्रश्न पर पांडा ने कहा कि भाजपा राज्य में भ्रम फैला रही है. आरोप के अनुसार तृणमूल कांग्रेस और भाजपा में समझौते की बात तो विधानसभा चुनाव के नतीजे से ही साबित हो गया. तृणमूल को भाजपा का पूरा साथ मिला है.
कांग्रेस से तालमेल के बावजूद वाममोरचा की करारी शिकस्त के बाद भी आंदोलन में कांग्रेस को भी साथ रखे जाने आह्वान के प्रश्न पर पांडा ने कहा कि विधानसभा चुनाव में वाममोरचा और कांग्रेस के बीच गंठबंधन नहीं, बल्कि सीटों को लेकर तालमेल हुआ था. इसे लेकर ही लोग भ्रमित हुए. राज्य की मौजूदा दशा से निबटने के लिए अब भी वामपंथी, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष ताकत एकजुट हैं.
यही वजह है कि राजनीतिक हिंसा की घटनाओं के खिलाफ आंदोलन में कांग्रेस को भी साथ रहने का आह्वान किया जा रहा है. कांग्रेस के साथ तालमेल किये जाने से वाममोरचा खेमे के बाहर के वामपंथी दल यानी एसयूसीआइ और भाकपा (माले) ने वाममोरचा का साथ छोड़ दिया था. राजनीति हिंसा की घटनाओं को लेकर आगामी आंदोलनों में फिर कांग्रेस को शामिल किये जाने के बाद क्या वाममोरचा खेमे के बाहर के वामपंथी दल साथ देंगे? इस प्रश्न पर भाकपा के आला नेता ने कहा कि मौजूदा विषम परिस्थिति में भाजपा को छोड़ तमाम विपक्षी दलों का एकजुट होना काफी अहम है.
वामपंथियों को ही नहीं, बल्कि अन्य विपक्षी दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर भी हमले हो रहे हैं. वाममोरचा में शामिल नहीं होनेवाले भाकपा (माले) जैसे वामपंथी दलों पर भी हमले जारी हैं. अत: एकजुट होकर लड़ाई अहम है.