20 को प्रेस क्लब में सम्मेलन

कोलकाता. राज्य सरकार द्वारा मीडिया पर अघोषित सेंसरशिप लगाने के खिलाफ मीडिया आंदोलन की राह पर जाने की तैयारी कर रहा है. इसके मद्देनजर कोलकाता प्रेस क्लब ने 20 जनवरी को प्रेस क्लब में एक सम्मेलन का आयोजन करने की घोषणा की है. इस सम्मेलन में आगे की रणनीति बनायी जायेगी. उल्लेखनीय है कि राज्य […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 17, 2014 8:29 AM

कोलकाता. राज्य सरकार द्वारा मीडिया पर अघोषित सेंसरशिप लगाने के खिलाफ मीडिया आंदोलन की राह पर जाने की तैयारी कर रहा है. इसके मद्देनजर कोलकाता प्रेस क्लब ने 20 जनवरी को प्रेस क्लब में एक सम्मेलन का आयोजन करने की घोषणा की है.

इस सम्मेलन में आगे की रणनीति बनायी जायेगी. उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने राज्य सचिवालय नवान्न में प्रेस कॉर्नर के बाहर व अन्य तलों पर संवाददाताओं के जाने पर रोक लगा दी है. संवाददाताओं को अनुमति व प्रवेश स्लिप के साथ ही अनुमति दी जायेगी तथा बिना अनुमति का प्रवेश करने पर कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया गया है. कोलकाता प्रेस क्लब के अध्यक्ष सुदीप्त सेनगुप्ता ने राज्य सरकार के इस निर्णय की कड़ी आलोचना करते हुए

कहा कि मीडिया जगत राज्य सरकार के इस फैसले को नहीं मानता है. उन्होंने तत्काल इस फैसले को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि मीडिया को बेड़ियों में नहीं जकड़ा जा सकता है. राज्य सरकार के फरमान की कड़ी निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि 20 जनवरी को प्रेस क्लब में एक सम्मेलन बुलाया गया है. इस सम्मेलन में विभिन्न मीडिया माध्यमों के प्रतिनिधि, प्रेस क्लब के सदस्य, पत्रकारों के विभिन्न संगठनों व अन्य संगठनों को आमंत्रित किया गया है.

इस सम्मेलन में सरकार के इस निर्णय के खिलाफ रणनीति बनायी जायेगी ताकि राज्य सरकार यह फरमान वापस ले. सरकार पर दबाव बनाया जायेगा. मीडिया प्रतिनिधियों ने सरकार के इस निर्णय को काला कानून करार देते हुए कहा कि राज्य सरकार ऐसा कानून तभी बनाती है, जब आंतरिक या बाहरी आपातकाल हो, लेकिन फिलहाल राज्य में ऐसी कोई स्थिति नहीं है.

यह सरकार यदि पारदर्शिता पर विश्वास करती है, तो फिर मीडिया से क्या छुपाना. वरिष्ठ पत्रकारों का कहना है कि राज्य सरकार के इस फैसले को अदालत में चुनौती दी जायेगी और अदालत में राज्य सरकार को करारी हार का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि यह केवल मीडिया के कुछ लोगों की स्वतंत्रता का हनन नहीं है, वरन आम लोगों के अधिकारों व उनके सूचना के अधिकार का हनन है. मीडिया के प्रतिनिधि केवल उस मीडिया का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं, वरन आम लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं और सरकार भी आम लोगों की, आम लोगों द्वारा तथा आम लोगों के लिए ही काम करती है.

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