आयोग की वैधता पर कांति गांगुली ने उठाये सवाल
कोलकाता : माकपा विधायक कांति गांगुली ने कलकत्ता हाइकोर्ट में याचिका दायर करते हुए तृणमूल सरकार द्वारा 2012 में गठित एक सदस्यीय आयोग की वैधता पर सवाल उठाया. उल्लेखनीय है कि 2012 में तृणमूल सरकार ने जस्टिस अमिताभ लाला के नेतृत्व में एक सदस्यीय आयोग गठित किया, जो 1982 में आनंदमार्गी साधुओं की हत्या के […]
कोलकाता : माकपा विधायक कांति गांगुली ने कलकत्ता हाइकोर्ट में याचिका दायर करते हुए तृणमूल सरकार द्वारा 2012 में गठित एक सदस्यीय आयोग की वैधता पर सवाल उठाया. उल्लेखनीय है कि 2012 में तृणमूल सरकार ने जस्टिस अमिताभ लाला के नेतृत्व में एक सदस्यीय आयोग गठित किया, जो 1982 में आनंदमार्गी साधुओं की हत्या के मामले की जांच करता.
इस आयोग के तहत कांति गांगुली को बुलाया गया था. आरोप है कि सीआइडी, राज्य व आनंदमार्गियों के वकीलों नेउनसे पूछताछ की. श्री गांगुली ने हाइकोर्ट में इस आयोग की वैधता को चुनौती दी है. याचिका में कहा गया है कि इस मामले की जांच के लिए 1982 में जस्टिस एससी देव आयोग गठित हुआ था. उस आयोग की रिपोर्ट कहां है.
जब तक उस आयोग की रिपोर्ट खारिज नहीं होती, मौजूदा आयोग अपनी रिपोर्ट कैसे दे सकती है. इसके अलावा सीआइडी कैसे अचानक श्री गांगुली से पूछताछ कर सकती है. 19982 में सीआइडी ने ही मामले की जांच की थी और उसके द्वारा दायर चार्जशीट के आधार पर सुनवाई शुरू हुई थी. इस संबंध में सीआइडी तभी ऑर्डर दे सकती थी.
इसके अतिरिक्त आनंदमार्गी के वकील श्री गांगुली से पूछताछ कैसे कर सकते हैं, जब वह मामले के शिकायतकर्ता ही नहीं हैं. गौरतलब है कि मामला, पुलिस ने स्वत: संज्ञान लेते हुए शुरू किया था. 1982 के 30 अप्रैल को बालीगंज सेतु पर 16 आनंदमार्गी साधुओं को जिंदा जला देने की घटना हुई थी. 2011 में तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्ववाली सरकार के गठन के बाद 2012 में मामले की जांच के लिए एक सदस्यीय आयोग का गठन किया गया था.