वह हर फिल्म से कुछ न कुछ नया सीखते हैं. नयी फिल्म के माध्यम से उन्हें हर पल एक नयी चुनाैती मिलती है. फिल्म तीन में भी वह एक साधारण भूमिका निभा रहे हैं. उनका कैरेक्टर एकदम वास्तविक है, जो मध्य वर्ग परिवार के जीवन व उसके जद्दोजहद को दिखाता है. हालांकि कैमरा के सामने एकदम नेचुरल रहना कठिन है, फिर भी वह कोशिश करते हैं कि अपने पात्र के साथ सच्चाई के साथ पेश आयें. फिल्म तीन के निदेशक रिभू दासगुप्ता ने उनसे कहा था कि इस किरदार में उन्हें ज्यादा कुछ नहीं करना है. मैंने इस पात्र को सही रूप से जीने की कोशिश की है. पूरी फिल्म में सारी चीजें इस तरह दिखायी गयी हैं कि वह पूरी तरह वास्तविक लगें. इसकी शूटिंग भी सेट पर नहीं की गयी है, बल्कि वास्तविक लोकेशन पर की गयी है, जो दर्शकों को काफी पसंद आयेगी. सफेद कुर्ता-पजामा पहने अमिताभ बच्चन ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि आज की पीढ़ी में इरफान खान, रणबीर कपूर, दीपिका पादुकोण, आलिया भट्ट जैसे कलाकार बालीवुड में अच्छा काम कर रहे हैं. उनसे भी मुझे बहुत कुछ सीखने को मिलता है.
उनका कहना है कि कोलकाता में वह जब भी आते हैं, उन्हें अच्छा लगता है. यहां दर्शकों का उन्हें भरपूर प्यार मिलता है. यहां लोगों को पुरानी चीजें संग्रह करने व अपनी सभ्यता से विशेष लगाव है. यह देख कर उन्हें अच्छा लगता है. अमिताभ बच्चन ने कहा कि कोलकाता में 60 के दशक में वह कुछ सालों तक रहे हैं. वह एंग्लो इंडियन समुदाय से अच्छी तरह परिचित हैं. इसलिए फिल्म में उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई. कार्यक्रम में फिल्म तीन के निर्माता सुजय घोष व निदेशक भी उपस्थित रहे. फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी व विद्या बालन का भी मुख्य किरदार है. साउथ सिटी मॉल में अमिताभ के कार्यक्रम में कई बार पत्रकारों के बीच धक्का-मुक्की व मारपीट हुई. भीड़ को काबू करने में पुलिस के पसीने छूट गये.