छोटे चाय किसानों के लिए कारखाना

कोलकाता : पश्चिम बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा और मिजोरम के छोटे किसानों ने चाय उद्योग में अपने अधिकार पर जोर देने और टी-बोर्ड के मूल्य शेयरिंग फाॅर्मूले में पारदर्शिता लाने की मांग की है. टी बोर्ड आॅफ इंडिया के चेयरमैन संतोष कुमार सारंगी ने कहा कि एक महीने के भीतर वाणिज्य मंत्रालय के जरिये […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 12, 2016 8:20 AM
कोलकाता : पश्चिम बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा और मिजोरम के छोटे किसानों ने चाय उद्योग में अपने अधिकार पर जोर देने और टी-बोर्ड के मूल्य शेयरिंग फाॅर्मूले में पारदर्शिता लाने की मांग की है.
टी बोर्ड आॅफ इंडिया के चेयरमैन संतोष कुमार सारंगी ने कहा कि एक महीने के भीतर वाणिज्य मंत्रालय के जरिये छोटे चाय किसानों के लिए बोर्ड लघु और सूक्ष्म फैक्टरियां लगाने के लिए मार्गदर्शिका पर अधिसूचना जारी करेगा. किसानों का फंड भी बढ़ाया जायेगा.
उनके वाटर शेडों और परिवहन के रखरखाव के लिए सब्सिडी में बढ़ोतरी की जायेगी. किसानों को वैल्यू चैन बनना होगा. उन्हें उत्पादक बनना होगा और नीलामी में शामिल होना होगा. बोर्ड गुणवत्ता नियंत्रण के लिए उन्हें प्रशिक्षित करेगा. यह सुनिश्चित करेगा कि उत्पादित चाय की गुणवत्ता अच्छी है.
कंफडरेशन आॅफ इंडियन स्माल टी ग्रोवर्स एसोसिएशन (सीआइएसटीए) के अध्यक्ष विजय गोपाल चक्रवर्ती ने कहा कि हम प्राइस शेयरिंग फाॅर्मूले (पीएसएफ) की प्रशंसा करते हैं, लेकिन अब भी एसटीजी से ग्रीन लीफ का उचित मूल्य नहीं मिलता है. वास्तविक मूल्य प्राप्ति में पारदर्शिता का अभाव है. टी मार्केटिंग कंट्रोल आर्डर (टीएमसीओ) के तहत मात्र 50 प्रतिशत चाय की नीलामी होती है.
आॅल असम स्माल टी ग्रोवर्स एसोसिएशन के परामर्शदाता दिनेश कुमार साराह ने कहा कि असम की नयी सरकार को किसानों को वह कोष उपलब्धता कराने में आ रही बाधाओं को दूर करना चाहिए, जिससे बीएलएफ को ग्रीन लीफ बेंचने पर प्रति किलो 0.25 पैसा सेस यूटिलाइजेशन पाॅलिसी के तहत जमा होता है.

Next Article

Exit mobile version