जूट मिल के सामने झड़प में दो घायल दो बाइक फूंकी

कोलकाता: उत्तर 24 परगना जिले में स्थित बरानगर जूट मिल के सामने हड़ताल कर रहे कर्मचारियों और एक अन्य समूह के बीच संघर्ष में दो श्रमिका घायल हो गये. इस घटना में गुस्साये लोगों ने दो बाइक फूंक दी. घटना शनिवार दोपहर को घटी. इस घटना के कारण तकरीबन तीन घंटे तक इलाके में तनाव […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 19, 2014 8:28 AM

कोलकाता: उत्तर 24 परगना जिले में स्थित बरानगर जूट मिल के सामने हड़ताल कर रहे कर्मचारियों और एक अन्य समूह के बीच संघर्ष में दो श्रमिका घायल हो गये. इस घटना में गुस्साये लोगों ने दो बाइक फूंक दी. घटना शनिवार दोपहर को घटी. इस घटना के कारण तकरीबन तीन घंटे तक इलाके में तनाव का माहौल व्याप्त रहा. बाद में पुलिस के हस्तक्षेप के बाद हालात को स्वाभाविक कर लिया गया.

पांच दिन पहले निकाला गया था
स्थानीय लोगों के मुताबिक गत पांच दिन पहले बरानगर जूट मिल से छह श्रमिकों को काम से निकाल दिया गया था. इसके विरोध में प्रबंधन के इस फैसले के खिलाफ मिल के श्रमिक हड़ताल पर चले गये थे. इसके बाद से श्रमिक संगठन उन छह श्रमिकों को फिर से मिल में बहाली की मांग पर जूट मिल के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे. श्रमिकों का आरोप है कि शनिवार को अचानक बाइक पर सवार कुछ बदमाश आये और उनके आंदोलन को बंद करने की धमकी देते हुए गाली गलौज करने लगे. इसका विरोध करने पर इलाके में फायरिंग की गयी. जिसके बाद वहां हड़ताल पर बैठे श्रमिक गुस्से में आ गये. जिसे देख बाइक सवार भाग खड़े हुए, लेकिन श्रमिकों की तरफ से इस घटना में दो बाइक जला दी गयी. दोनों पक्ष की तरफ से झमेले में दो श्रमिक घायल हुए है. पुलिस की हस्तक्षेप से झमेले को शांत किया गया.

बातचीत से विवाद को सुलझाने की हुई थी कोशिश : पाल
मामले पर आइएनटीटीयूसी के वर्किग प्रेसिडेंट राम कृष्ण पाल का कहना है कि मामले के बाद श्रमिकों से बैठकर मामले को सुलझाने व हड़ताल वापस लेने को कहा गया था, लेकिन वे नहीं माने. जब तृणमूल समर्थकों ने उन्हें समझाने की कोशिश की तो वे उग्र होकर हमला करने लगे. जिसके कारण यह घटना घटी. घटना के बाद से मील प्रबंधन व आइएनटीटीयूसी की तरफ से स्थानीय थाने में शिकायत दर्ज करायी गयी है.

उत्पादन बढ़ाने के लिए श्रमिकों के साथ समझौता हुआ था : प्रबंधन
वहीं इस मामले पर प्रबंधन का कहना है कि मील में उत्पादन बढ़ाने को लेकर श्रमिकों के साथ एक समझौता हुआ था. जिसके बावजूद उत्पादन नहीं बढ़ा, इसके कारण कुछ दिनों से छह श्रमिकों को कुछ दिनों के लिए बैठाने का निर्णय लिया गया था. जिसके बाद उनकी मदद से मामला यहां तक आ पहुंचा. प्रबंधन की तरफ से बाहरी लोगों का इस घटना में हाथ होने की बात कही गयी है.

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