जीएसटी से पांच वर्ष तक नुकसान की भरपाई करेगा केंद्र : अमित

कोलकाता: राज्य के वित्त मंत्री सह जीएसटी की इम्पावर कमेटी के चेयरमैन अमित मित्रा ने कहा कि जीएसटी पर लोकसभा में पारित विधेयक में प्रावधान है कि जीएसटी के कारण राज्य के राजस्व में पांच वर्ष तक हुए नुकसान की भरपाई केंद्र सरकार करेगी. वह मंगलवार को विधानसभा में संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 29, 2016 7:13 AM
कोलकाता: राज्य के वित्त मंत्री सह जीएसटी की इम्पावर कमेटी के चेयरमैन अमित मित्रा ने कहा कि जीएसटी पर लोकसभा में पारित विधेयक में प्रावधान है कि जीएसटी के कारण राज्य के राजस्व में पांच वर्ष तक हुए नुकसान की भरपाई केंद्र सरकार करेगी. वह मंगलवार को विधानसभा में संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि यह सरकारी आदेश नहीं है, बल्कि संवैधानिक संशोधन के माध्यम से व्यवस्था बनायी गयी है. इससे केंद्र सरकार पीछे नहीं हट सकती है.
68 लाख रोजगार के आंकड़े स्पष्ट करेंगे श्री मित्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने 68 लाख लोगों को रोजगार देने की बात कही है. वित्त विधेयक पर जवाबी भाषण में मैं बताऊंगा कि किस क्षेत्र में कितने लोगों को रोजगार मिला है. साथ ही दो वर्ष की एजी रिपोर्ट पेश करूंगा. माकपा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा था कि वित्त मंत्री ने 68 लाख लोगों को रोजगार देने का अांकड़ा पेश नहीं किया.
इ-टैक्सेशन में बंगाल की प्रशंसा : श्री मित्रा ने कहा कि इ-टैक्सेशन में पश्चिम बंगाल को प्रशंसा मिली है. केंद्र सरकार ने बंगाल को नंबर वन माना है. बंगाल में कोई भी भुगतान नकद नहीं होता है. यह चेक से या फिर एकाउंट के माध्यम से होता है.
विश्व बंगाल ब्रांड को मिली मान्यता
वित्त मंत्री ने दावा किया कि कुटीर उद्योग में बंगाल ने अपनी पहचान बनायी है. तंतुश्री और मंजूश्री जैसी संस्थाएं घाटे में चल रही थीं, लेकिन अब ये लाभप्रद हैं. विश्व बांग्ला आउटलेट की अपनी पहचान बनी है व यह बंगाल का ब्रांड बन गया है.
केंद्र सरकार से नहीं मिली मदद
श्री मित्रा ने कहा कि तृणमूल जब सत्ता में आयी तो राज्य ऋण में डूबा था. सरकार ने पूर्व यूपीए एवं वर्तमान एडीए सरकार से ऋण भुगतान स्थगन की मांग की थी, लेकिन किसी सरकार ने मदद नहीं की. केंद्र से कर में मिलनेवाली भागीदारी 32 फीसदी से बढ़ कर 42 हो गयी है, लेकिन केंद्र ने जेएनएनयूअारएम, पार्वत्य मामले, पिछड़ा इलाका विकास फंड सहित कई परियोजनाओं को मदद देनी बंद कर दी है. इन्हें राज्य सरकार खुद चला रही है.

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