मालदा व जलपाईगुड़ी जिला परिषद पर तृणमूल का कब्जा

कोलकाता. कांग्रेस को अपने गढ़ मालदा में तब तगड़ा झटका लगा, जब कांग्रेस और वामदल के 14 सदस्याें ने सोमवार को तृणमूल का दामन थाम लिया. इसके साथ ही मालदा जिला परिषद पर तृणमूल का कब्जा हो गया. इस राजनीतिक परिवर्तन को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि करीब तीन महीना पहले हुए विधानसभा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 23, 2016 1:45 AM
कोलकाता. कांग्रेस को अपने गढ़ मालदा में तब तगड़ा झटका लगा, जब कांग्रेस और वामदल के 14 सदस्याें ने सोमवार को तृणमूल का दामन थाम लिया. इसके साथ ही मालदा जिला परिषद पर तृणमूल का कब्जा हो गया. इस राजनीतिक परिवर्तन को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि करीब तीन महीना पहले हुए विधानसभा चुनाव में तृणमूल को मालदा में एक भी सीट नहीं मिली थी. दलबदल पर वामदलों ने तृणमूल कांग्रेस पर राज्य में एकदलीय शासन स्थापित करने और भारतीय लोकतंत्र एवं संविधान के मूल सिद्धांतों को खत्म करने का प्रयास करने का आरोप लगाया है.

परिवहन मंत्री सह तृणमूल कांग्रेस के मालदा जिला प्रभारी शुभेंदु अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा कि 38 सदस्यीय मालदा जिला परिषद में जिला परिषद सभाधिपति सरला मुर्मू सहित वामदलों के आठ और कांग्रेस के छह सदस्य तृणमूल में शामिल हुए. जबकि समाजवादी पार्टी के दो सदस्याें ने समर्थन दिया है. तृणमूल के वर्तमान जिला परिषद में छह सदस्य हैं. विधानसभा चुनाव में माकपा के टिकट पर जीतने वाली जिला परिषद सदस्य दीपाली विश्वास पिछले महीने तृणमूल में शामिल हुई थीं.

उन्हाेंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने वालाें ने पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और वामदलों के बीच अनैतिक गठबंधन का समर्थन नहीं किया. वे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा किये गये विकास कार्यों से भी प्रेरित हैं. इस संबंध में प्रदेश कांग्रेस के नेता अब्दुल मन्नान ने कहा कि तृणमूल राज्य में एकदलीय शासन स्थापित करने का प्रयास कर रही है. इसलिए वह लगातार विपक्ष के विधायकों, पार्षदों और निर्वाचित सदस्यों का शिकार कर रही है. माकपा नेता मोहम्मद सलीम ने कहा कि तृणमूल हमारे देश के लोकतंत्र एवं संविधान के मूल सिद्धांतों को खत्म करने का प्रयास कर रही है.

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