हड़ताल को लेकर पक्ष-विपक्ष ने कसी कमर

कोलकाता: केंद्रीय श्रमिक संगठनों व फेडरेशन समूह ने 12 सूत्री मांगों को लेकर शुक्रवार को एकदिवसीय देशव्यापी हड़ताल का अाह्वान किया है, जबकि तृणमूल कांग्रेस नीत राज्य सरकार ने हड़ताल के खिलाफ है. राज्य सरकार ने हड़ताल के दौरान तमाम सरकारी कर्मचारियों को कार्यालय आने का निर्देश दिया है जबकि आम लोगों को हड़ताल विफल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 2, 2016 1:20 AM
कोलकाता: केंद्रीय श्रमिक संगठनों व फेडरेशन समूह ने 12 सूत्री मांगों को लेकर शुक्रवार को एकदिवसीय देशव्यापी हड़ताल का अाह्वान किया है, जबकि तृणमूल कांग्रेस नीत राज्य सरकार ने हड़ताल के खिलाफ है. राज्य सरकार ने हड़ताल के दौरान तमाम सरकारी कर्मचारियों को कार्यालय आने का निर्देश दिया है जबकि आम लोगों को हड़ताल विफल करने की अपील की है. इधर राज्य में हड़ताल के पक्ष में माकपा समेत तमाम वामपंथी दल व संगठन हैं. यानी एक तरह से उपरोक्त मुद्दे को लेकर वामपंथी पार्टियां व राज्य सरकार आमने-सामने है.
राज्य में सीटू के अध्यक्ष श्यामल चक्रवर्ती ने कहा है कि हड़ताल का आह्वान श्रमिकों की मांगों को लेकर किया गया है. ऐसे में इसका विरोध करने का मतलब श्रमिकों केे हित का विरोध करना है. यदि हड़ताल में बाधा दी गयी, तो इसका परिणाम बाधा देनेवालों को भुगतना पड़ेगा. हड़ताल का समर्थन करनेवाले श्रमिकों पर दबाव देने की कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. श्री चक्रवर्ती ने कहा है कि हड़ताल को विफल करने के लिए ही कथित तौर पर शुक्रवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यभर में ‘सिंगूर उत्सव’ मनाये जाने की घोषणा की है. हड़ताल को विफल करने की तमाम कोशिश बेकार साबित होगी.
गौरतलब है कि हड़ताल के समर्थन में गुरुवार को भी श्रमिक संगठनों की ओर से राज्यव्यापी प्रचार अभियान चलाया गया था. बताया जा रहा है कि शुक्रवार को भी वामपंथी दलों और संगठनों केे प्रतिनिधि हड़ताल के समर्थन महानगर की सड़कों पर उतरेंगे और शांतिपूर्ण रूप से प्रचार करेंगे. राज्यव्यापी रैली निकाली जायेगी और कई जगहों पर सभा भी किये जाने की बात है. हड़ताल को बीएमएस और आइएनटीटीयूसी को छोड़ कर सीटू, इंटक, एआइयूटीयूसी, एटक, यूटीयूसी प्राय: सभी श्रमिक संगठनों ने समर्थन किया है.

सीटू नेेताओं का आरोप है कि भाजपा नीत केंद्र सरकार और तृणमूल कांग्रेस नीत राज्य सरकार की नीतियों में कोई फर्क नहीं है. हड़ताल केंद्रीय सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ भी है. आरोप के अनुसार राज्य में हड़ताल का विरोध करना भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच अंदरूनी सांठगांठ को दर्शाता है. श्रमिक संगठनों द्वारा श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी करीब 18 हजार रुपये करने, ठेका प्रथा समाप्त करने, श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान किये जाने, महंगाई पर अंकुश लगाने समेत 12 सूत्री मांगें की गयी हैं.

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