हाइकोर्ट ने ट्राइब्यूनल के फैसले को यथावत रखा

कोलकाता : पश्चिम बंगाल पुलिस में कॉन्सटेबल से सीधे एसआइ व एएसआइ नियुक्ति मामले पर राज्य सरकार को झटका लगा है. उल्लेखनीय है कि 2014 में केवल प्रशासनिक ऑर्डर के आधार पर ही कॉन्सटेबल से सीधे एसआइ व एएसआइ की नियुक्ति के संबंध में प्रशासनिक अधिसूचना जारी की गयी थी. उसके मुताबिक 1703 उम्मीदवारों ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 10, 2016 1:25 AM
कोलकाता : पश्चिम बंगाल पुलिस में कॉन्सटेबल से सीधे एसआइ व एएसआइ नियुक्ति मामले पर राज्य सरकार को झटका लगा है. उल्लेखनीय है कि 2014 में केवल प्रशासनिक ऑर्डर के आधार पर ही कॉन्सटेबल से सीधे एसआइ व एएसआइ की नियुक्ति के संबंध में प्रशासनिक अधिसूचना जारी की गयी थी.

उसके मुताबिक 1703 उम्मीदवारों ने इंटरव्यू दिया था. इसमें 807 का चयन किया गया, लेकिन राज्य सरकार ने इसके बाद 400 उम्मीदवारों की ही अंतिम सूची जारी की गयी और शेष उम्मीदवारों का बताया गया कि स्वास्थ्य संबंधी कारणों की वजह से उन्हें सूची में शामिल नहीं किया गया. राज्य सरकार के इस फैसले को चुनौती देते हुए वासुदेव दास नामक उम्मीदवार ने स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव ट्राइब्यूनल में मामला दायर किया था. इस वर्ष तीन मार्च को ट्राइब्यूनल ने समूची प्रक्रिया को कानूनन गलत बताया.

उनका कहना था कि प्रशासन के निर्देश पर ऐसी परीक्षाएं नहीं हो सकती. ट्राइब्यूनल के इस आदेश को चुनौती देते हुए वर्तमान वर्ष अप्रैल में कलकत्ता हाइकोर्ट में राज्य सरकार ने याचिका दायर की.
ट्राइब्यूनल के निर्देश पर अंतरिम स्थगनादेश तथा विस्तृत सुनवाई की मांग की गयी. आठ अप्रैल को न्यायाधीश निशिथा महात्रे व न्यायाधीश राकेश तिवारी ने अंतरिम स्थगनादेश के मुद्दे पर अलग-अलग राय रखी.
एक न्यायाधीश ने अंतरिम स्थगनादेश के पक्ष में अपना फैसला दिया तो अन्य ने याचिका को ही खारिज कर देने की बात कही थी. इसके बाद तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर ने तृतीय न्यायाधीश, अनिरुद्ध बोस की अदालत में मामले को भेजा. शुक्रवार को न्यायाधीश अनिरुद्ध बसु ने ट्राइब्यूनल के फैसले को यथावत रखा. मूल मामले की सुनवाई तक ट्राइब्यूनल के फैसले पर अंतरिम स्थगनादेश नहीं लगेगा.
लिहाजा जिन 389 उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र दिया गया था, वह मूल मामले की सुनवाई और फैसला नहीं होने तक अपने पद पर कार्य नहीं कर सकते.

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