युवती से छेड़खानी मामले पर हाइकोर्ट ने कहा एसपी को देनी होगी रिपोर्ट

कोलकाता: युवती के साथ छेड़खानी करने और उसे धमकी देने के एक मामले में एसपी को रिपोर्ट देने के लिए कलकत्ता हाइकोर्ट ने निर्देश दिया है. न्यायाधीश दीपंकर दत्त ने यह निर्देश दिया. अदालत ने एसपी को अगले मंगलवार तक रिपोर्ट देने के लिए कहा है. इसके अलावा पीड़िता की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 21, 2016 7:58 AM
कोलकाता: युवती के साथ छेड़खानी करने और उसे धमकी देने के एक मामले में एसपी को रिपोर्ट देने के लिए कलकत्ता हाइकोर्ट ने निर्देश दिया है. न्यायाधीश दीपंकर दत्त ने यह निर्देश दिया. अदालत ने एसपी को अगले मंगलवार तक रिपोर्ट देने के लिए कहा है. इसके अलावा पीड़िता की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया गया है. अदालत ने कहा कि यदि पीड़िता को किसी प्रकार की शारीरिक या मानसिक पीड़ा पहुंचती है, तो एसपी और उसकी पुलिस इसके लिए जिम्मेदार होगी. इसके बाद अदालत पुलिस के खिलाफ उपयुक्त कदम उठायेगी. एसपी को बताना होगा कि उन्होेंने मामले के जांच अधिकारी के खिलाफ क्या कदम उठाया है या उठाने वाले हैं.
न्यायाधीश दीपंकर दत्त ने यह भी सवाल किया कि मामले में धारा 164 का इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया. शिकायती पत्र में जिसका उल्लेख है, उसका उल्लेख एफआइअार में होना चाहिए. एफआइआर में रंगदारी का उल्लेख नहीं है. पड़ोसियों के खिलाफ धारा 161 का उपयोग किया गया है, लेकिन पीड़ित का 164 नहीं हुआ. शिकायतकर्ता पर अविश्वास कैसे किया जा सकता है.

जब अधिकारियों को उनके वरीय अधिकारी ऐसा करने के लिए उत्साहित करते हैं तभी ऐसा होता है. इस संबंध में क्या अनुशासनात्मक कार्रवाई की गयी है. उनके अधिकारी कैसे उनके निर्देश का उल्लंघन कर रहे हैं. उल्लेखनीय है कि इस वर्ष छह मई को मध्यमग्राम थाने में सरोजनी नायडू कॉलेज की महासचिव सुष्मिता साहा ने एफआइआर दर्ज करायी कि स्थानीय नवजीवन क्लब के कुछ सदस्य उन्हें पैसे और उनकी आधी संपत्ति के लिए धमका रहे हैं. दूसरी एफआइआर चार अगस्त को दर्ज की गयी. लेकिन किसी भी एफआइआर के तहत पुलिस की कार्रवाई नहीं हुई. मामले में छेड़खानी का भी आरोप है. उपयुक्त जांच की मांग पर कलकत्ता हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर की गयी है.

बकाया अदा कर बागान चला सकती है डंकन्स
हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गिरीश चंद्र गुप्ता की खंडपीठ ने डंकन को उसकी सात चाय बागान को सशर्त चलाने की अनुमति दी है. अदालत ने कहा है कि वह बकाया अदा करके चाय बागान चला सकती है. साथ ही मामले से संबंधित अपील पर भी हाइकोर्ट में समानांतर सुनवाई चलती रहेगी. हाइकोर्ट ने कहा है कि डंकन अपने सात चाय बागानों में कामकाज कर सकता है जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा अधिग्रहण के लिए अधिसूचित किया गया था. लेकिन इसके लिए उसे तीन शर्तों को पूरा करना होगा. जिनमें डंकन को बकाया वेतन अदा करना होगा. चाय बोर्ड द्वारा हर 15 दिन में रिपोर्ट फाइल करनी होगी तथा डंकन कोई भी मशीन बेच नहीं सकेगा.

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