शिव कुमार राउत
कोलकाता : इलाज में हुई चूक से एक कृषक पुत्र का सपना चकनाचूर हो गया. बिहार निवासी राजन शर्मा (21 वर्ष) का सपना भारतीय सेना में शामिल होकर देश की सेवा करने का था. लेकिन अब शायद ही उनका यह सपना पूरा हो पायेगा. एक हादसे में राजन के बायें हाथ कीहड्डी टूट गयी थी. लेकिन सर्जरी के बाद उसके बायें हाथ की अंगुली शिथिल पड़ गयी.वह इसे हिला भी नहीं पा रहे है.
राजन का अारोप है कि महानगर के एक प्रतिष्ठित अस्पताल के चिकित्सक ने सर्जरी में लापरवाही की, जिसकी वजह सेवह दिव्यांग हो गये है. हालांकि अस्पताल प्रबंधन आरोप को बेबुनियाद बता रहा है.
क्या हैं मामला
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के मधु धप्परा गांव के रहने वाले किसान रंजीत शर्मा के पुत्र राजन शर्मा की ख्वाहिश सेना में भरती होने की थी. इसके लिए वह कड़ी मेहनत कर रहा था. लेकिन किस्मत काे कुछ और ही मंजूर था. वह दौड़ का अभ्यास करने के दौरान गिर गया. उसके बायें हाथ की कोहनी टूट गयी. स्थानीय चिकित्सक ने प्लास्टर करने के बाद बेहतर इलाज के लिए पटना जाने की सलाह दी. लेकिन वह अपने मौसा सुखनंदन के कहने पर कोलकाता के मरवाड़ी रिलीफ सोसाइटी हॉस्पिटल में इलाज के लिए पहुंचा. सुखनंदन इसी अस्पताल में कर्मचारी हैं.
अस्पताल के आउटडोर में दिखाने के बाद चिकित्सक ने कहा कि टूटी कोहनी जोड़ने के लिए सर्जरी करनी होगी. वह 10 जनवरी, 2016 को अस्पताल में भरती हुआ. वरिष्ठ ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ एस कुमान के नेतृत्व में उसकी चिकित्सा शुरू हुई. 16 जनवरी को उसकी सर्जरी की गयी. लेकिन दूसरे दिन जब उसे पूरी तरह होश आया तो देखा कि बायें हाथ की अंगुली मुड़ी हुई है. वह उसे हिला भी नहीं पा रहा था. जब उसने रेसिडेंट सर्जर से बात की तो बताया गया कि वह धीरे-धीरे ठीक हो जायेगा. लेकिन अब तक उसकी स्थिति जस की तस है. राजन का आरोप है कि उसके हाथ में स्टील लगा दिया गया था. जब उसने दोबारा एमआरआइ जांच करायी तो पता चला कि कोहनी के पास ही अल्नर नर्भ नहीं है, जिस कारण यह समस्या हुई.
क्या कहती है पुलिस
कोलकाता पुलिस के संयुक्त आयुक्त अपराध विशाल गर्ग ने कहा कि यह मामला मेरी जानकारी में नहीं है. संबंधित पुलिस अधिकारी द्वारा की जाने वाली जांच के बाद ही इस मामले को लेकर कुछ कहा जा सकता है.
क्या है अल्नर नर्व
अल्नर नर्व हाथ की कोहनी के ऊपर से होकर गुजरती है, जो कंधे और हथेली की छोटी अंगुली एवं रिंग फिंगर से जुड़ी होती है. यह मानव शरीर का एक बड़ा व असुरक्षित तंत्रिका है. क्योंकि इसे मांसपेशी व हड्डियों से कोई सुरक्षा नहीं मिलती है इसलिए इसे असुरक्षित नर्व माना जाता है. इसका चोटिल होना आम बात है. इसके क्षतिग्रस्त होने या कटने से हाथ सुख सकता है. बिजली के झटके की तरह सनसनी महसूस हो सकती है. राजन भी इसी से समस्या से जुझ रहा है.
मरीज कोर्ट जाना चाहे तो जा सकता है : चिकित्सक
मारवाड़ी रिलीफ सोसाइटी, कोलकाता के विजिटिंग ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ एस कुमार ने कहा कि कई बार सर्जरी के दौरान अल्नर नर्व की सटीक स्थिति का पता नहीं चल पाता है. लेकिन इस केस में सर्जरी के दौरान नस को अलग कर ऑपरेशन किया था. इस तरह की सर्जरी में 20 से 40 फीसदी मामलों में अल्नर नर्व न्यूरोपैथी होने की संभावना बनी रहती है. विश्वभर में इस तरह की सर्जरी से होकर गुजरने वाले करीब 100 में 20 से 40 मरीजों को यह समस्या होती है. कई बार सर्जरी के एक दो साल बाद मरीज को इस समस्या से मुक्ति मिल जाती है तो कुछ मामलों में मरीज को प्लास्टिक सर्जन से नर्व ग्राफ करवाना पड़ता है. इस मामले में किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती गयी है. यदि मरीज कोर्ट का सहारा लेना चाहता है तो ले, हम इसका जवाब देने के लिए तैयार हैं.
मुझे इंसाफ चाहिए : राजन शर्मा
सर्जरी के बाद मैं अपंग हो गया हूं. सेना में नौकरी का मेरा सपना टूट गया है. चिकित्सकीय लापरवाही के कारण मेरी कोहनी में संक्रमण भी हो गया है. मेरे पिता एक किसान हैं. वह कर्ज लेकर मेरी चिकित्सा करा रहे है. मुझे इंसाफ चाहिए. मैंने पोस्ता थाना, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की बंगाल शाखा, मेडिकल काउंसिल ऑफ बंगाल के अधिकारियों के पास लिखित शिकायत की है. जरूरत पड़ने पर मैं अदालत भी जाउंगा.
इस विषय में मैंने मरीज का आपरेशन करनेवाले डॉक्टर से बात की. डॉक्टरों के अनुसार इलाज में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती गयी है. मानवता के नात हम मरीज की आगे की चिकित्सा नि.शुल्क करने के लिए तैयार है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपनी गलती मान रहे हैं. (गोविंद राम अग्रवाल, महासचिव, मारवाड़ी रिलीफ सोसाइटी हॉस्पिटल, कोलकाता)
डाॅक्टर कुमार के सहायक व अस्पताल के रेसिडेंट सर्जन से बात हुई है. हमें पता चला है कि मेडिकल रूप से कोई चुक नहीं हुई है. ऑपरेशन सही तरीके से किया गया है. (प्रदीप कुमार शर्मा, एक्टिंग महाप्रबंधक, मारवाड़ी रिलीफ सोसाइटी, कोलकाता)