निष्काम भक्त श्रेष्ठ होता है : जयप्रकाश शास्त्री
हावड़ा/बांधाघाट. श्रीमद् भागवत प्रचार समिति की ओर से आयोजित बंगेश्वर महादेव मंदिर में कथा के विश्राम दिवस पर व्यासपीठ से जयप्रकाश शास्त्री ने कहा कि निष्काम भक्त श्रेष्ठ होता है. सुदामा चरित्र पर आपने कहा कि सुदामा कृष्ण का बाल सखा, ज्ञान संपन्न विषयों से विरक्त तथा जितेंद्रिय था. दैवेच्छा से जो कुछ मिल जाता, […]
हावड़ा/बांधाघाट. श्रीमद् भागवत प्रचार समिति की ओर से आयोजित बंगेश्वर महादेव मंदिर में कथा के विश्राम दिवस पर व्यासपीठ से जयप्रकाश शास्त्री ने कहा कि निष्काम भक्त श्रेष्ठ होता है. सुदामा चरित्र पर आपने कहा कि सुदामा कृष्ण का बाल सखा, ज्ञान संपन्न विषयों से विरक्त तथा जितेंद्रिय था. दैवेच्छा से जो कुछ मिल जाता, उसी से वह संतोष करता था.
पत्नी के द्वारा बार-बार अनुरोध करने पर अपने मित्र द्वारिकाधीश कृष्ण से मिलने जाते हैं, लेकिन वहां पर सुदामा ने किसी प्रकार की याचना नहीं की. परंतु प्राणिमात्र की मनोवृत्ति जानने वाले भगवान ने उनके आने का कारण जानकर यह निश्चय किया मैं इन्हें देव दुर्लभ संपत्ति प्रदान करुंगा. प्रत्यक्ष में कुछ भी न देते हुए परोक्ष में सब प्रकार का ऐश्वर्य और संपत्ति प्रदान की. संपत्ति पाकर सुदामा ने सोचा इस लौकिक संपत्ति का एक मात्र कारण भगवान श्री कृष्ण की कृपा दृष्टि हो सकती है, दूसरा नहीं. बिना मांगे ही उन्होंने मुझे सब कुछ दे दिया. दास्यभाव उन्हीं के साथ बना रहे. ऐसा संकल्प कर सुदामा पत्नी सहित विषयों का त्याग कर भगवान के चिंतन में लग गये, कुछ काल बाद पति-पत्नी भगवद् गुणानुवाद करते हुए उनके दिव्य धाम में जा बिराजे.
श्रद्धेय व्यासजी ने श्रोताओं के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं दी. इसके पूर्व विष्णु महायज्ञ, सामूहिक सुंदरकांड का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों श्रोताओं ने भाग लिया. कथा अनुरागी संतोषजी जैन, नरेंद्रजी अग्रवाल, कथा संरक्षक बलभद्रजी अग्रवाल, निर्मलजी गोयल, सुरेंद्रजी छपारिया, प्रदीपजी कलानौरिया, मुख्य यजमान रामफलजी जिंदल को कथा में उनके अंतर्मन मार्गदर्शन के लिए समिति की ओर से मनोज लुहारीवाला, संजय केजरीवाल एवं आनंद कुमार जैन ने आभार व्यक्त किया और सभी श्रोताओं को धन्यवाद दिया.