रूस में आयोजित वर्ल्ड कप डायमंड-2016 दो वर्गों में जीती पदक जे कुंदन हावड़ा : मध्यमवर्गीय परिवार की प्रज्ञा महज 21 साल की आयु में वर्ल्ड कप डायमंड-2016 बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक विजेता बनी ह
रूस में आयोजित वर्ल्ड कप डायमंड-2016 दो वर्गों में जीती पदक जे कुंदन हावड़ा : मध्यमवर्गीय परिवार की प्रज्ञा महज 21 साल की आयु में वर्ल्ड कप डायमंड-2016 बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक विजेता बनी है. प्रज्ञा को स्वर्ण पदक सीनियर किक लाइट (अंडर 50 केजी) प्रतियोगिता में मिला है. इस प्रतियोगिता का आयोजन रूस […]
रूस में आयोजित वर्ल्ड कप डायमंड-2016
दो वर्गों में जीती पदक
जे कुंदन
हावड़ा : मध्यमवर्गीय परिवार की प्रज्ञा महज 21 साल की आयु में वर्ल्ड कप डायमंड-2016 बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक विजेता बनी है. प्रज्ञा को स्वर्ण पदक सीनियर किक लाइट (अंडर 50 केजी) प्रतियोगिता में मिला है. इस प्रतियोगिता का आयोजन रूस के अनापा शहर में हुआ है. दो दिनों पहले ही उसने अपने नाम दो पदक किया है. प्रज्ञा की इस सफलता से न सिर्फ परिवार के लोग खुश हैं, बल्कि पूरा हावड़ा गर्वित हुआ है. प्रज्ञा 29 को घर लौट रही है.
पिता राजीव शर्मा ने बताया कि कड़ी मेहनत व बड़ों के आशीर्वाद की बदौलत प्रज्ञा को यह सफलता मिली है. परिवार के सभी लोगों को उसके आने का इंतजार है. प्रज्ञा की दीदी प्रियंका ने बताया कि बचपन से ही उसे बॉक्सर बनने की इच्छा थी, लेकिन यह सब कुछ इतना आसान नहीं था. पिता राजीव एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत हैं, जबकि मां गीता गृह शिक्षिक हैं.
आर्थिक हालत तंग होने के बावजूद परिवार के सारे सदस्यों की यही तमन्ना थी कि प्रज्ञा बॉक्सिंग के क्षेत्र में परिवार के साथ देश का भी नाम रोशन करे. निश्चित तौर पर बहन की दृढ़ शक्ति व सफलता पाने की भूख देख कर घर के सभी लोगों ने उसका हौसला आफजायी करने में कोई कसर नहीं छोड़ा. देश के विभिन्न शहरों में आयोजित बॉक्सिंग प्रतियोगिता में प्रज्ञा को कई बार स्वर्ण पदक मिले हैं, लेकिन यह पहला मौका है, जब देश के बाहर उसे स्वर्ण पदक से नवाजा गया है. रूस में आयोजित इस चैंपियनशिप में प्रज्ञा को दो कैटोगिरी में पदक मिला है.
एक कैटोगिरी में स्वर्ण व दूसरे में रजत पदक मिला है. मां गीता ने बताया कि स्कूली जीवन से ही उसने बहुत मेहनत की है. सुबह छह बजे प्रैक्टिस करने के लिए वह कोलकाता जाती थी. आठ से दस घंटे तक वह रोजाना प्रैक्टिस करती थी. उसकी आंखों में हमेशा कुछ पाने की ललक रहती थी.
वर्ष 2012 में दिल्ली नेशनल बॉक्सिंग प्रतियोगिता में प्रज्ञा चोटिल हुई थी. कुछ दिनों तक वह उदास रही, लेकिन हिम्मत नहीं हारी. उसने फिर से बॉक्सिंग गल्ब्स हाथ में लिया आैर मजबूत इरादों के साथ मंजिल की ओर बढ़ती चली गयी. प्रज्ञा को गाना सुनना व किताबें पढ़ना बेहद पसंद है. बॉक्सर होने के बावजूद वह बेहद शांत स्वभाव की है. परिवार को उम्मीद है कि राज्य सरकार की ओर से उसे प्रोत्साहन के साथ सम्मान मिलेगा.