कुणाल घोष को मिली अंतरिम जमानत
कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस से निलंबित राज्यसभा सांसद कुणाल घोष को सारधा चिटफंड घोटाला मामले में बुधवार को जमानत मिल गयी. कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश असीम राय व न्यायाधीश एमएम बनर्जी की खंडपीठ ने दो लाख रुपये के व्यक्तिगत बॉन्ड पर कुणाल को जमानत दे दी. अदालत ने जमानत देते वक्त कुछ शर्तें भी लगायी हैं. […]
कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस से निलंबित राज्यसभा सांसद कुणाल घोष को सारधा चिटफंड घोटाला मामले में बुधवार को जमानत मिल गयी. कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश असीम राय व न्यायाधीश एमएम बनर्जी की खंडपीठ ने दो लाख रुपये के व्यक्तिगत बॉन्ड पर कुणाल को जमानत दे दी. अदालत ने जमानत देते वक्त कुछ शर्तें भी लगायी हैं.
कुणाल घोष को 11 नवंबर तक अंतरिम जमानत दी गयी है. उन्हें अपना पासपोर्ट सीबीआइ के पास जमा करना होगा. सप्ताह में एक दिन उन्हें सीबीआइ के सामने हाजिरी लगानी होगी. कुणाल को अपने रिहाइशी इलाके नारकेलडांगा थाना क्षेत्र में ही रहना होगा. अंतरिम जमानत की अवधि में वह इस इलाके से बाहर नहीं जा सकेंगे. दो नवंबर को मामले की अगली सुनवाई है. गौरतलब है कि कुणाल घोष को 23 नवंबर, 2013 को गिरफ्तार किया गया था. 2014 के छह सितंबर को सीबीआइ ने घोष को अपनी हिरासत में लिया. 2014 के 22 अक्तूबर को उनके खिलाफ सीबीआइ ने चार्जशीट दी थी. इससे पहले कुणाल घोष के जेल में ही आत्महत्या की कोशिश करने की खबरें आयी थीं.
कई बार जमानत की कोशिश की गयी थी लेकिन हर बार सीबीआइ के वकील की ओर से इसका विरोध किया गया था. आखिरकार दुर्गापूजा से पहले कुणाल घोष को जमानत मिल गयी.
अदालत सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, कुणाल घोष को अधिकतम तीन वर्ष की सजा हो सकती थी. लेकिन कुणाल घोष पहले ही दो वर्ष दो महीने जेल में बिता चुके हैं. सीबीआइ के अधिवक्ता का कहना था कि कुणाल घोष के खिलाफ लगे आरोपों की जांच में और चार महीने का वक्त लगेगा. लेकिन सजा पाने की सूरत में अधिकतम सजा से आधे से अधिक वक्त जेल में बिता देने का मामला कुणाल घोष के पक्ष में गया. पूर्व मंत्री मदन मित्रा के बाद अब कुणाल घोष को जमानत मिलने से सीबीआइ की चिंता बढ़ गयी है कि कहीं, मामले में गिरफ्तार सुदीप्त सेन, देवयानी मुखर्जी, मातंग सिंह जैसे अन्य आरोपियों को भी जमानत मिलने का रास्ता साफ न हो जाये. कुणाल के गुरुवार को जेल से छूटने की संभावना है.