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सिंगूर में जमीन लौटाने की तिथि हो सकती है तय

कोलकाता : दुर्गापूजा, मोहर्रम व लक्खी पूजा खत्म हो चुकी है. लंबी छुट्टी के बाद सोमवार से जनजीवन फिर से स्वाभाविक हो जायेगा. दफ्तरों में फिर से गतिविधियां आरंभ हो जायेंगी. त्योहारों की इस लंबी छुट्टी के बाद सोमवार से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व उनके मंत्रिमंडल के अन्य सदस्य भी अपने दफ्तर पहुंचने लगेंगे. पूजा […]

कोलकाता : दुर्गापूजा, मोहर्रम व लक्खी पूजा खत्म हो चुकी है. लंबी छुट्टी के बाद सोमवार से जनजीवन फिर से स्वाभाविक हो जायेगा. दफ्तरों में फिर से गतिविधियां आरंभ हो जायेंगी. त्योहारों की इस लंबी छुट्टी के बाद सोमवार से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व उनके मंत्रिमंडल के अन्य सदस्य भी अपने दफ्तर पहुंचने लगेंगे.
पूजा की इस लंबी छुट्टी के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सोमवार को राज्य सचिवालय नवान्न में पहली बैठक करेंगी. बैठक में वैसे तो कई मुद्दों पर चर्चा होगी, पर मुख्य रूप से इसमें सिंगुर के किसानों को उनकी जमीन लौटाने के मुद्दे पर विचार-विमर्श किया जायेगा.
स्वयं मुख्यमंत्री ने सिंगूर के किसानों को उनकी जमीन लौटाने के लिए 21 अक्तूबर की तारीख निर्धारित की है, पर अब वह चाहती हैं कि निर्धारित समय से पहले ही किसानों की जमीन उनके हवाले कर दी जाये. मुख्यमंत्री की इस इच्छा को देखते हुए प्रशासन ने पिछले कई दिनों से अपनी गतिविधियां तेज कर रखी हैं. सिंगूर के किसानों को उनकी जमीन लौटाने और उस जमीन को खेती योग्य बनाने के लिए चल रहे कामकाज पर नजर रखने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री ने उच्च शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को सौंप रखी है.
सूत्रों के अनुसार इस बैठक में श्री चटर्जी अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को पेश करेंगे. बैठक में सिंगूर के गोपालनगर मौजा के उस 25 एकड़ जमीन के बारे में भी चर्चा होगी, जिसे खेती के लायक बनाया जा चुका है आैर यह 25 एकड़ जमीन किसानों को लौटाये जाने के लिए पूरी तरह तैयार है. श्री चटर्जी ने स्वयं बताया है कि अगर मुख्यमंत्री निर्देश दें, तो हम लोग सोमवार से यह जमीन किसानों को लौटाना शुरू कर दें. सभी किसानों को एक साथ जमीन नहीं दी जायेगी, बल्कि चरणबद्ध तरीके से जमीन की वापसी होगी. सोमवार की इस बैठक में ही यह तय होगा कि गोपालनगर मौजा की 25 एकड़ जमीन कब से लौटायी जाये.
समय से पहले किसानों को जमीन लौटाना चाहती है सरकार
कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सिंगूर के किसानों को उनकी जमीन लौटाने की तारीख यूं तो 21 अक्तूबर निर्धारित की है, पर राज्य सरकार निर्धारित समय से पहले ही जमीन लौटाने के लिए तत्पर हो गयी है. इसके मद्देनजर सिंगूर में टाटा के कारखाने का ढांचा तोड़ने का काम तेजी से चल रहा है. तोड़े गए शेड को फेंकने के लिए गोपालनगर में एक डंपिंग स्टेशन बनाया गया है. जमीन को खेती लायक बनाने का काम भी तेजी से चल रहा है. इस पूरे काम पर नजर रखने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री ने उच्च शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को सौंपी है.
कुल 997 एकड़ जमीन में से 74 एकड़ को छोड़ कर बाकी सभी जमीन चिंहित हो चुकी है आैर साफ-सफाई का काम तेजी से चल रहा है. सरकारी सूत्रों के अनुसार गोपालनगर मौजा में 25 एकड़ जमीन को खेती के लायक बना दिया गया है आैर सबसे पहले यही जमीन अनिच्छुक किसानों को लौटायी जायेगी. इस संबंध में श्री चटर्जी रविवार को सिंगूर पहुंचे. उन्होंने मंत्री तपन दासगुप्ता व बेचाराम मान्ना के साथ बैठक की.
बैठक में हुगली जिला के डीएम व एसपी भी मौजूद थे.
सूत्रों के अनुसार किसानों को लौटाने के लिए 25 एकड़ जमीन पूरी तरह तैयार है. केवल मुख्यमंत्री की हरी झंडी का इंतजार है. दूसरी तरफ बाजेमेलिया और खासेरभेड़ी मौजा के अनेक किसानों अभी तक मुआवजा नहीं मिलने से परेशान है. सितम्बर के दूसरे सप्ताह में इन्होंने कागजात जमा किये थे. इन्हें रकम नहीं मिलने से पंचायतकर्मी भी परेशान है. बेड़ाबेड़ी पंचायत के उपप्रधान दूध कुमार धारा ने किसानों को हो रही इस दिक्कत की बात को स्वीकार किया है.

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