प्रशासन की आेर से पाबंदी होने के बावजूद दिवाली के मौके पर जम कर आवाज वाले पटाखे छोड़े गये. पटाखों के साथ-साथ भारी मात्रा में हुई आतिशबाजी से भी वायु में प्रदूषण की मात्रा बढ़ी है. दिल्ली में भी इस बार ऐसा ही हुआ है. विशेषज्ञों को इस बात की चिंता है कि इस जहर से कोलकाता कितने दिन तक बचेगा. पर्यावरणविद सुभाष दत्ता तो दावा कर रहे हैं हवा में प्रदूषण के क्षेत्र में कोलकाता देश की राजधानी के काफी करीब पहुंच गया है. इसलिए अभी से सतर्क हो जाने का वक्त आ गया है. अगर वक्त रहते दूषण पर नियंत्रण के लिए प्रयास नहीं किया गया तो जल्द ही कोलकातावासियों को भी दिल्ली के लोगों की तरह परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
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दिल्ली के रास्ते पर कोलकाता : बढ़ रहा प्रदूषण
कोलकाता. वायु प्रदूषण ने देश की राजधानी दिल्ली व आसपास के राज्यों को अपनी चपेट में ले लिया है. आगरा का ताजमहल भी दूषण की चपेट में है. दिन के वक्त भी दुनिया का सातवां अजूबा सही से दिखायी नहीं दे रहा है. दिल्ली की यह हालत एक दिन में नहीं हुई है. दूषण की […]
कोलकाता. वायु प्रदूषण ने देश की राजधानी दिल्ली व आसपास के राज्यों को अपनी चपेट में ले लिया है. आगरा का ताजमहल भी दूषण की चपेट में है. दिन के वक्त भी दुनिया का सातवां अजूबा सही से दिखायी नहीं दे रहा है. दिल्ली की यह हालत एक दिन में नहीं हुई है. दूषण की मात्रा बढ़ते-बढ़ते इस हाल तक पहुंच गयी है. आने वाले दिनों में कोलकाता में यह नजारा देखने को मिल सकता है. पर्यावरणविदों ने हमेशा ही उत्सव के मौसम में दूषण की मात्रा में होने वाले बेतहाशा इजाफे पर चिंता जतायी है.
प्रदूषण स्रोत का अध्ययन करेंगे विशेषज्ञ
कोलकाता का वायु प्रदूषण दिल्ली के जितना खराब नहीं है, लेकिन यहां के प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारी वायु की गुणवत्ता को सुरक्षित करने के लिए एक योजना पर काम कर रहे हैं. नागपुर के राष्ट्रीय पर्यावरण अभियंत्रिकी शोेध संस्थान के विशेषज्ञों की एक टीम शहर को प्रदूषण से प्रभावित करनेवाले विभिन्न स्रोतों को जानने के लिए 18 महीने का एक अध्ययन कर रही है. पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोेर्ड के अध्यक्ष कल्याण रुद्र ने बताया कि कोलकाता में सर्दी की शुरुआत के साथ ही टीम अध्ययन के लिए पहुंच गयी है. टीम मौसमी चक्र का एक बहुत ही व्यापक अध्ययन करेगी.
उन्होंने बताया कि यह अध्ययन वायु प्रदूषण के स्रोत को जानने के लिए है. हम जानना चाहते हैं कि अपशिष्ट को जलाने, वाहनों, धूल, हवा के बहाव आदि से किस तरह का प्रदूषण हो रहा है. हालांकि श्री रुद्र ने बताया कि वे शहर में वायु प्रदूषण के विभिन्न मापदंडों को माप रहे हैं, लेकिन इसका कोई आंकड़ा नहीं है कि यह कहां से आ रहा है. उन्होंने बताया कि एक बार हम वैज्ञानिक रिपोर्ट पूरा कर लेंगे, तब उसके मुुताबिक कार्रवाई करेंगे.
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