उनके साथ आम आदमी पार्टी और शिव सेना के प्रतिनिधि भी थे. राष्ट्रपति के सामने नोटबंदी के खिलाफ अपना रुख उन्होंने रखा. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने प्रश्न उठाया कि मुख्यमंत्री ने अपनी पार्टी के नेताओं के खिलाफ कोई कदम क्यों नहीं उठाया जो सारधा घोटाले और नारदा स्टिंग ऑपरेशन में फंसे थे.
तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो दरअसल पूरी स्थिति को अपनी पक्ष में करने की कोशिश कर रही हैं. लेकिन उनकी ही पार्टी के नेताओं के खिलाफ कई आरोप हैं. उनके शासनकाल में बड़ी तादाद में चिटफंड कंपनियों ने आम आदमी को लूट कर उन्हें सड़क पर ला दिया. उन नेताओं के खिलाफ उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया. कांग्रेस किसी भी सूरत में तृणमूल का साथ नहीं देगी. कांग्रेस केंद्र सरकार के तानाशाह रवैये के खिलाफ अपने बूते पर लड़ने की क्षमता रखती है. वाम नेता सूजन चक्रवर्ती ने कहा कि अपनी सभी कोशिशों के बावजूद ममता बनर्जी केवल कुछ ही राजनीतिक दलों को अपने साथ ला सकी. ज्यादातर उनके साथ नहीं आये. कोई ऐसे किसी के साथ कैसे जा सकता है जो सारधा और नारदा घोटाले के साथ जुड़े हुए हैं. उन घोटालों में फंसे अपनी पार्टी के नेताओं के खिलाफ वह कोई कदम क्यों नहीं उठाती. जिस तरह ज्यादातर दलों ने उनका साथ देने से इनकार किया, उससे दुख होता है.
आखिरकार वह हमारी मुख्यमंत्री हैं. आरएसपी के राज्य सचिव क्षिति गोस्वामी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी अलोकतांत्रिक रास्ते पर चल रही हैं और उनकी कोशिश यही रहती है कि राज्य में कोई विपक्ष न हो. उनका विश्वास नहीं किया जा सकता. भाजपा के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने कहा कि यह समझा जा सकता है कि तृणमूल बड़ी समस्या में है क्योंकि उसके नेताओं को यह नहीं मालूम कि सारधा व नारदा घोटाले से हासिल काले धन का वह क्या करे. नोटबंदी के खिलाफ सुश्री बनर्जी जितना अधिक प्रतिवाद करेंगी उतना ही यह स्पष्ट होता जायेगा कि वह काले धन का साथ देती हैं. अरविंद केजरीवाल के साथ दिल्ली में सभा के संबंध में श्री सिन्हा ने कहा कि दिल्ली में कम ही लोग ममता बनर्जी को पहचान सकेंगे और पश्चिम बंगाल के लोगों को इससे कोई मतलब नहीं कि आप के नेता क्या कह रहे हैं.