बिना होमवर्क के लिया गया नोटबंदी का फैसला : हाइकोर्ट

कोलकाता. नोटबंदी के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गिरीश गुप्त की खंडपीठ ने कहा कि वह सरकार की नीति तो नहीं बदल सकती लेकिन नोटबंदी करने से पहले सरकार ने होमवर्क नहीं किया. हाइकोर्ट का यह भी कहना था कि बैंक कर्मचारियों में भी जिम्मेदारी का अभाव […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 19, 2016 1:38 AM
कोलकाता. नोटबंदी के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गिरीश गुप्त की खंडपीठ ने कहा कि वह सरकार की नीति तो नहीं बदल सकती लेकिन नोटबंदी करने से पहले सरकार ने होमवर्क नहीं किया. हाइकोर्ट का यह भी कहना था कि बैंक कर्मचारियों में भी जिम्मेदारी का अभाव दिखा है जिसकी वजह से आम लोगों को तकलीफ हुई है.

खंडपीठ के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा नोटबंदी के संबंध में रोजाना ही नियमों में बदलाव किया जा रहा है, इससे स्पष्ट होता है कि सरकार ने होमवर्क नहीं किया. नीति को लागू करने के लिए पर्याप्त सोच-विचार का अभाव था. अदालत ने केंद्र को हलफनामा देकर बताने के लिए कहा है कि परिवहन तथा निजी अस्पतालों में पुराने नोट दिये जा सकते हैं या नहीं.

साथ ही अस्पतालों व परिवहन में आम लोगों की समस्या को कम करने के लिए केंद्र की ओर से क्या कदम उठाये जा रहे हैं. केंद्र को आगामी 25 नवंबर के भीतर इसकी जानकारी अदालत को देनी होगी. आगामी 25 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में भी इसी मामले पर सुनवाई है. यहां केंद्र की ओर से उसके द्वारा उठाये गये सभी उपायों की जानकारी हलफनामें के जरिये दी जायेगी. नोटबंदी के संबंध में वकील रमाप्रसाद सरकार ने जनहित याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि सामाजिक कार्यक्रम, जैसे शादी, श्राद्ध आदि के लिए लोगों के पास पर्याप्त पैसे नहीं हैं. चिकित्सा कराने में भी समस्या हो रही है. वरिष्ठ नागरिकों को और भी दिक्कत है. हाइकोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी.

इधर अलाउद्दीन मंडल द्वारा दायर एक अन्य जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने सवाल उठाया कि लोगों को बैंक खाते खोलने के लिए कहा जा रहा है लेकिन उन लोगों का क्या होगा जो आयकर के दायरे में नहीं आते हैं. रुपये बदलवाने की सीमा को दो हजार रुपये तक कर दिया गया है. दो हजार रुपये में क्या होता है? एक किलो आटे की कीमत का भी अंदाजा है क्या? जो लोग रोजाना 200-300 रुपये कमाते हैं वह बैंक खाता कैसे खोलेंगे? बैंक खाता खोलने में लोगों को होनेवाली दिक्कत का अंदाजा है क्या? केंद्र सरकार को यह भी बतानी होगी कि वह दिव्यांग नागरिकों के लिए इस संबंध में क्या कर रही है. ऑथोराइजेशन लेटर इस मामले में दिया जा सकता है या नहीं. इस मामले की अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी.

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