पश्चिम बंगाल उपचुनाव में पड़े 81 प्रतिशत वोट

।।संवाददाता।। कोलकाता : राज्य की दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में शाम पांच बजे तक 81 फीसदी मतदान हुआ. शनिवार की शाम राज्य उप मुख्य चुनाव अधिकारी अमित ज्योति चक्रवर्ती ने दावा किया कि छिटपुट घटनाओं को छोड़ कर उपचुनाव शांतिपूर्ण संपन्न हुआ. कूचबिहार व तमलुक लोकसभा और मोंतेश्वर विधानसभा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 19, 2016 7:51 PM

।।संवाददाता।।

कोलकाता : राज्य की दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में शाम पांच बजे तक 81 फीसदी मतदान हुआ. शनिवार की शाम राज्य उप मुख्य चुनाव अधिकारी अमित ज्योति चक्रवर्ती ने दावा किया कि छिटपुट घटनाओं को छोड़ कर उपचुनाव शांतिपूर्ण संपन्न हुआ. कूचबिहार व तमलुक लोकसभा और मोंतेश्वर विधानसभा सीट पर शनिवार को चुनाव हुआ है और इन तीनों सीटों पर औसतन 81 प्रतिशत वोट पड़े. हालांकि विरोधी पार्टियों ने सत्तारूढ़ पार्टी पर मतदान के दौरान धांधली व छप्पा वोटिंग का आरोप लगाया.

बर्दवान जिले में स्थित मोंतेश्वर विस सीट पर सुबह से ही गड़बड़ी देखने को मिली. सत्तारूढ़ पार्टी के एजेंटों की मनमानी देख कांग्रेस ने अपने एजेंटों को मतदान केंद्रों से बाहर निकाल लिया. मतदान के दौरान सिर्फ सत्तारूढ़ पार्टी के एजेंट ही केंद्रों में उपस्थित थे. वहीं, प्रदेश भाजपा भी उपचुनाव के मतदान प्रक्रिया से संतुष्ठ नहीं है और भाजपा ने इस संबंध में राज्य चुनाव आयोग को पत्र लिख कर उपचुनाव में हुई गड़बड़ियों के संबंध में शिकायत की है. भाजपा ने आरोप लगाया है कि आतंक के साये में उपचुनाव हुआ है और लोगों को वोट देने नहीं दिया गया. सुबह से ही सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों ने तमलुक लोकसभा क्षेत्र के नंदीग्राम व हल्दिया और कूचबिहार लोकसभा क्षेत्र के सिताई, शीतलकुची, दिनहाटा, कूचबिहार उत्तर क्षेत्र में मतदाता वोट नहीं दे पाये. हालांकि चुनाव आयोग ने दावा कि उपचुनाव शांतिपूर्ण संपन्न हुआ है और छिट-पुट घटनाओं को छोड़ कर कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है.
उपचुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस, भाजपा, वाम मोरचा और कांग्रेस ने इन सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं. कांग्रेस और माकपा नेतृत्व वाले वाम दलों ने अप्रैल-मार्च के विधानसभा चुनाव एक साथ लड़े थे, लेकिन उपचुनाव के लिए दोनों पार्टियों ने अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया था. नोट बंदी अंतिम दौर के चुनाव प्रचार का महत्वपूर्ण मुद्दा था. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उपचुनाव का प्रचार खुद नहीं किया था, उन्होंने इस अभियान को पार्टी के अन्य नेताओं पर छोड़ दिया था. मतों की गणना 22 नवंबर को होगी.

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