गुरु गोविंद ने सिखाया अन्याय का विरोध करना
कोलकाता : समाज कर्म से जिंदा रहता है, करामात से नहीं. पुरुषार्थ से खड़ा होकर ही समाज अन्यायी शक्तियों को पराजित कर सकता है. बच्चों को संस्कारित करने तथा उनमें देश और धर्म के प्रति समर्पण का भाव जगाना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है. अन्याय के प्रतिकार हेतु आम जन को खड़ा किया गुरु […]
कोलकाता : समाज कर्म से जिंदा रहता है, करामात से नहीं. पुरुषार्थ से खड़ा होकर ही समाज अन्यायी शक्तियों को पराजित कर सकता है. बच्चों को संस्कारित करने तथा उनमें देश और धर्म के प्रति समर्पण का भाव जगाना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है. अन्याय के प्रतिकार हेतु आम जन को खड़ा किया गुरु गोविंद सिंह ने.
राष्ट्रीय सिख संगत के अध्यक्ष व राजस्थान सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल सरदार गुरुचरण सिंह गिल ने रविवार को ये बातें श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के तत्वावधान में आयोजित गुरु गोविंद सिंह की 350वीं जंयती के अवसर पर कहीं. कार्यक्रम के अध्यक्ष विमल लाठ ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह ने भगवान राम की तरह अन्याय से लड़ने के लिए आम जनता को संगठित किया.
अतिथियों का स्वागत करते हुए पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ प्रेमशंकर त्रिपाठी ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह शस्त्र-शास्त्र पारंगत थे. वह सही अर्थों में कवि-योद्धा थे. कार्यक्रम का शुभारंभ अरुण प्रकाश मल्लावत ने गुरु गोविंद सिंह के बच्चों के बलिदान गीत से किया, जिसके शब्द थे निकली सांस बोलेगी, हजारों बार बोलेगी, हमारे देश की जय हो, श्री गुरुग्रंथ की जय हो. गजानंद राठी, शांतिलाल जैन व सत्येंद्र अटल ने अतिथियों का स्वागत माल्यार्पण कर किया. राजेंद्र खंडेलवाल व महावीर बजाज अन्य मंचासीन थे.
कवि रावेल पुष्प ने गुरु गोविंद सिंह के व्यक्तितत्व व कृतित्व पर लिखी कविता का पाठ किया. संचालन योगेशराज उपाध्याय ने व धन्यवाद ज्ञापन पुस्तकालय की साहित्य मंत्री दुर्गा व्यास ने किया. गुड्डन सिंह, मोहनलाल पारीक, मनोज काकड़ा, नंद कुमार लढ़ा, राजाराम बिहानी, नारायणदास व्यास, गिरिधर राय, चंद्रकुमार जैन व अन्य आयोजन की सफलता के लिए सक्रिय रहे.
जयप्रकाश सिंह, लक्ष्मीकांत तिवारी, नंदलाल सिंघानिया, भंवरलाल मूंधड़ा, दिनेश पांडेय, शंकरबक्श सिंह, नरेंद्र अग्रवाल, डॉ वसुमति डागा, जय प्रकाश सेठिया, सुधा जैन, स्नेहलता बैद, सुशीला चन्नानी, सरदार मनमौजी सिंह, हकीकत राय कपूर, रविप्रताप सिंह, अनिल ओझा (नीरद), रणजीत लूणिया सहित कोलकाता व हावड़ा महानगर के अनेक कवि, साहित्यकार व गणमान्य व्यक्ति इस दौरान उपस्थित थे.