आयुर्वेद को मिल रही अंतरराष्ट्रीय मान्यता

कोलकाता. सातवें वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस के छठे इंटरनेशनल प्रतिनिधि सम्मेलन का उदघाटन बुधवार को साइंस सिटी में किया गया. इस सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयुर्वेद मेडिसिन व थेरेपी को मिली एक नयी पहचान पर विस्तार से चर्चा की गयी. यह सम्मेलन चार दिनों तक चलेगा. उदघाटन कार्यक्रम में आयुष मंत्रालय के सचिव अजीत शरण […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 1, 2016 1:23 AM

कोलकाता. सातवें वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस के छठे इंटरनेशनल प्रतिनिधि सम्मेलन का उदघाटन बुधवार को साइंस सिटी में किया गया. इस सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयुर्वेद मेडिसिन व थेरेपी को मिली एक नयी पहचान पर विस्तार से चर्चा की गयी. यह सम्मेलन चार दिनों तक चलेगा. उदघाटन कार्यक्रम में आयुष मंत्रालय के सचिव अजीत शरण ने कहा कि आयुर्वेद के प्राचीन विज्ञान के जरिये पूरे विश्व के लोगों तक पहुंचा जा सकता है.

आज सबसे बड़ी चुनाैती यह है कि आयुर्वेद को पूरी विश्वसनीयता व साइंटिफिक प्रमाणिकता के साथ कैसे दुनिया के सामने लाया जाये. इसी को ध्यान में रख कर सम्मेलन के प्रथम सत्र में चैराइट बर्लिन में बड़े पैमाने पर हुए क्लिनिकल आयुर्वेद रिसर्च प्रोजेक्ट के बारे में विस्तार से चर्चा की गयी. चैराइट बर्लिन, ऑस्टियो ऑथर्राइटीस पर यूरोप की बहुत बड़ी मेडिकल यूनिवर्सिटी मानी जाती है. इस यूनिवर्सिटी में हुए अनुसंधान में यह प्रमाणित हुआ है कि घुटने के ऑस्टियो ऑथर्राइटीस में कन्वेन्शनल उपचार की तुलना में आयुर्वेद उपचार ज्यादा असरदार साबित हो सकता है.

सत्र में सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेस (सीसीआरएएस) के महानिदेशक केएस धीमान ने बताया कि ट्रायल के तौर पर दो समूहों में 152 मरीजों का इलाज किया गया. इस अभ्यास में 12 सप्ताह तक व्यक्तिगत रूप से उनकी देखभाल व उपचार किया गया, जिसके काफी अच्छे परिणाम सामने आये. इस प्रमाणिक रिसर्च के आधार पर आयुर्वेद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने मानदंड बनाने में सफल हुआ है. कार्यक्रम में इंडो-स्विस आयुर्वेद फाउंडेशन की अध्यक्ष सिमोनी हुनजीकर ने जानकारी दी कि 2009 में स्विटरलैंड ने सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में कॉम्पलीमेंटरी व ऑल्टरनेटिव मेडिसिन को एक नयी मान्यता दी है.

वहीं 2010 में डब्ल्यूएचओ ने आयुर्वेद में प्रोफेशनल ट्रेनिंग के नये तरीके व मापदंड जारी किये हैं. स्विस सरकार ने 2015 में आयुर्वेद मेडिसिन व आयुर्वेद थेरेपी को नयी मान्यता व मंजूरी दी. यह पहला ऐसा पश्चिम देश है, जिसने इसको मान्यता दी. उनका कहना है कि स्थायी ग्लोबल हेल्थ के लिए आयुर्वेद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्व दिया जा रहा है.

अगर आयुर्वेद स्विटरलैंड में पूरी तरह मान्यता प्राप्त कर लेता है, तो यह एक ग्लोबल परंपरा कायम करेगा. इसके परिणाम स्वरूप आयुर्वेद को अन्य देशों में भी मान्यता मिलेगी. वर्ल्ड आयुर्वेद फाउंडेशन से जुड़ीं डॉ गीथा कृष्णनन ने कहा कि कोई भी स्वास्थ्य विज्ञान समाज से जुड़ा हुआ है व स्वस्थ जीवन के लिए आयुर्वेद एक बेहतर विकल्प है. इसको अब पूरे समाज द्वारा स्वीकार किया जाना चाहिए. कोलकाता में आयुर्वेद का अपना एक समृद्ध इतिहास रहा है. यहां सम्मेलन करने का लक्ष्य यही है कि आयुर्वेद के ईकोसिस्टम व इसकी महता के बारे में अधिक लोगों को जागरूक किया जा सके.

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