कोलकाता: महानगर के मानिकतल्ला इलाके में एक इन्नोवा कार से 33 लाख रुपये व हथियारों के साथ गिरफ्तार प्रमोटरों और कोयला माफियाओं के गैंग में शामिल रानीगंज का व्यवसायी कृष्ण मुरारी कयाल उर्फ बिल्लू (44) खुद को तृणमूल कांग्रेस के नेताओं का काफी करीबी बता कर अपना काम निकालने के लिए लोगों पर धौंस जमाता रहा है. सूत्रों के अनुसार, उसने अपने फेसबुक अकाउंट में यह दावा किया था कि 2014 में जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 17 से 22 अगस्त तक सिंगापुर के दौरे पर गयी थी तो उनके साथ गये व्यवसायियों के शिष्टमंडल में वह भी शामिल था.
इससे संबंधित उसकी तसवीर को भी उसने फेसबुक अकाउंट में पोस्ट किया था, लेकिन उसकी गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने सच्चाई की जांच की तो प्राथमिक जांच में पता चला कि वह सीएम व उनके प्रतिनिधिमंडल के जाने के बाद सिंगापुर गया था, लेकिन जिस प्लेन में मुख्यमंत्री अपने साथ गये प्रनितिनिधिमंडल संग कोलकाता लौट रही थी, अन्य यात्रियों के साथ वह भी उस प्लेन में सवार था. यहां लौटने के बाद कृष्ण मुरारी ने उस तसवीर में कारगुजारी कर खुद को मुख्यमंत्री के साथ गये उस प्रतिनिधिमंडल का सदस्य बता कर सिंगापुर जाने का दावा किया था. उसके कोयले की तस्करी से जुड़े होने के आरोप के बीच उसके इस दावे को लेकर विरोधी पार्टी के सदस्यों ने काफी हंगामा भी किया था. सत्ताधारी पार्टी ने उस समय इस आरोप को गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन सोमवार रात को लालबाजार के एसटीएफ की टीम ने बिल्लू को गिरफ्तार किया तो असलियत सामने आयी.
कौन है कृष्ण मुरारी : पुलिस के हाथों गिरफ्तारी के बाद कृष्ण मुरारी कयाल उर्फ बिल्लू ने अपना पता रानीगंज का अधिकारियों को नहीं दिया है. उसने अपना पता जेबीएस हलधर एवेन्यू (कोलकाता) में बताया है. जबकि जांच में पता चला कि उसके पिता रानीगंज के तिलक रोड स्थित घर में रहते थे. लगभग 20 वर्ष पूर्व बिल्लू कोयला तस्कर राजू झा के संपर्क में आया. उसके साथ रहते हुए विभिन्न नेताओं से उसके अच्छे संबंध हो गये थे.
इसके बाद नेताओं के सामने उसकी विश्वसनीयता बढ़ती गयी और इसी का फायदा उठा कर बहुत कम समय में उसने काफी संपत्ति बनायी. बाद में वह राजू झा का पार्टनर बन गया. कालेधन को सफेद करने के लिए रानीगंज के अलावा कोलकाता के डलहौसी व बाइपास इलाके के मनी स्क्वायर के मॉल के पास उसने सात से आठ कंपनियां कागजी तौर पर खोल ली. इसके माध्यम से उसकी छवि व्यवसायी के रूप में भी बनती गयी. जब वह गिरफ्तार हुआ तो उसके पास से सबसे ज्यादा 15 लाख रुपये बरामद हुए. इसमें दो हजार रुपये के नोट भी शामिल थे. हालांकि कुछ जानकार उसकी गिरफ्तारी के कई राजनीतिक मायने भी निकाल रहे हैं. राजू झा ने अकूत संपत्ति वाममोरचा के शासनकाल में कोयला तस्करी से अर्जित की. सत्ताशीन तृणमूल कांग्रेस से उसने संबंध बनाने की कोशिश की, लेकिन अधिक सफलता नहीं मिली. बीते विधानसभा चुनाव में वाममोरचा व कांग्रेस गंठबंधन ने जब हवा बनायी तो राजू को लगा कि वाममोरचा सत्ता में आ जायेगा.
उसने अपने स्तर से इस गंठबंधन को खुली मदद की. संयोग से उसके कार्य क्षेत्र रानीगंज, जामुड़िया, दुर्गापुर पूर्व तथा दुर्गापुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्रों में इस गंठबंधन के चार प्रत्याशी जीत गये. यह तृणमूल कांग्रेस के लिए काफी टीस का कारण बना. दुर्गापुर की दोनों सीटों की हार पर स्वयं मुख्यमंत्री सुश्री बनर्जी ने नाराजगी जतायी थी. उसी समय से राजू झा निशाने पर था. रानीगंज में माकपा ने तृणमूल के पूर्व विधायक सोहराब अली की पत्नी नरगिस बानो को पराजित किया. श्री सोहराब के लिए यह बड़ा झटका साबित हुआ था.
राजू, भाजपा प्रत्याशी रहे मनीष शर्मा व कृष्ण मुरारी की गिरफ्तारी के बाद रानीगंज के उन व्यवसायियों के बीच भी हड़कंप हैं, जिनकी पृष्टभूमि राजू झा या इन अरोपियों से जुड़ी रही है. सभी सहमे हुए हैं. सबको पुलिस के अगली कार्रवाई का इंतजार है.